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________________ भारत का भविष्य का सहयोग अत्यंत आवश्यक है। वह सहयोग टूट जाए तो हमारी शक्ति आत्मघातक हो जाएगी। अगर समझ न हो तो शक्ति अक्सर स्युसाइडल हो जाती है। उसे फिर अपने को ही विनाश करने में काम में ले आते हैं। ऐसा हो रहा है, ऐसा रोज फैलता जा रहा है और चीजें रोज विकृत होती जा रही हैं। दूसरी बात जो मैं आपसे कहना चाहता हूं वह मैं यह कहना चाहता हूं कि हिंदुस्तान के सवाल हमारे हजारों साल के पैदा किए हुए सवाल हैं। उन्हें हम एक दिन में नहीं तोड़ सकते हैं। कोई उपाय नहीं है उन्हें एक दिन में तोड़ देने का। और उन्हें एक दिन में तोड़ने की कोशिश में सिर्फ यही हो सकता है कि हम और सवाल पैदा कर लें। हिंदुस्तान की कठिनाइयां एक दिन की नहीं हैं, पांच हजार साल का पूरा इतिहास हिंदुस्तान की कठिनाइयों का इतिहास है। हिंदुस्तान की जड़ें पांच हजार साल से पीड़ित, रुग्ण और विकृत हो गई हैं। अगर कोई आदमी चाहे कि इन्हें एक दिन में बदलने की जल्दबाजी दिखाए तो वह जल्दबाज आदमी जड़ों को सुधार पाए इसकी संभावना कम है, जड़ों को मिटा डाले, तोड़ डाले इसकी संभावना ज्यादा है। हिंदुस्तान की आने वाली युवा पीढ़ी को यह भी समझ लेना चाहिए कि सवाल जितने पुराने होते हैं उतने धीरज से उनके साथ मुकाबला करना पड़ता । लेकिन क्रांतिकारी कभी भी धैर्यवान नहीं होता। क्रांतिकारी अधैर्यवान होता है। वह बहुत शीघ्रता से कुछ करना चाहता है इसकी बिना फिक्र किए कि कुछ चीजें शीघ्रता से की ही नहीं जा सकतीं। एक बच्चा मां के पेट में नौ महीने लेता है तब मैच्योर होता है, तब वह जन्म लेता है। जल्दी की और अगर पांच महीने में गर्भपात कर लिया, तो बच्चा तो मरेगा ही, मां भी मर सकती है। हिंदुस्तान में मुझे ऐसा लगता है कि हमारी समस्याएं पुरानी हैं और हमारे हल करने की जल्दी बहुत अधैर्यपूर्ण है। हम प्रत्येक चीज को आज हल करना चाहते हैं, जो कि नहीं हल हो सकती। अगर हिंदुस्तान को ठीक से प्रौढ़ता पानी हो, और बुद्धिमत्ता पानी हो तो अपनी समस्याओं की गहराई... और यह भी समझ लेनी चाहिए कि वह वक्त लंबा लेंगी, वह जल्दी नहीं तोड़ी जा सकती हैं। न तो गरीबी आज मिटाई जा सकती है। चाहे हम जमीन छीन कर बांट दें, और चाहे हम सारी फैक्ट्रीस पर कब्जा कर लें, और चाहे हम सारे मुल्क की संपत्ति वितरित कर दें। गरीबी आज नहीं मिट सकती। क्योंकि गरीबी के पीछे पांच हजार साल की लंबी कहानी है। यह गरीबी पांच हजार साल की गरीबी है। इस गरीबी को जो आज मिटाने की कोशिश करेगा, मैं मानता हूं वह मुल्क को और भी गरीब हालत में छोड़ जाएगा।' क्योंकि इस गरीबी को जल्दी में मिटाने की कोशिश उस इंतजाम को भी तोड़ सकती है जो इंतजाम इस मुल्क को थोड़ी-बहुत संपत्ति दे रहा है। लेकिन हम बहुत जल्दी में भरे हैं। हमारा जवान चाहता है, सब आज हल हो जाए, हर आदमी को आज नौकरी मिल जाए। यह नहीं हो सकता। नेता मुल्क के बेईमान हैं वे झूठे आश्वासन दिए चले जाते हैं। वे आश्वासन दिए चले जाते हैं कि नहीं, यह हो जाएगा, यह जल्दी हो जाएगा। यह जल्दी हो सकेगा कि सबको नौकरी मिल जाए। यह नहीं हो सकेगा। इस मुल्क में सबको नौकरी नहीं मिल सकती। नहीं मिल सकती इसलिए कि इस मुल्क के पास उतना काम नहीं है जितने लोग हैं; नहीं मिल सकती इसलिए कि इस मुल्क के पास जितने लोगों को हमने Page 42 of 197 http://www.oshoworld.com
SR No.100002
Book TitleBharat ka Bhavishya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherOsho Rajnish
Publication Year
Total Pages197
LanguageHindi
ClassificationInterfaith & Interfaith
File Size2 MB
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