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भारत का भविष्य
वे तो मरने के करीब हैं वे विदा हो जाएंगे। उनकी जिंदगी गई, उनकी समाज की व्यवस्था भी गई। जिनको जीना होगा इस मुल्क में उनके लिए सवाल उठेगा। लेकिन कुछ ऐसी भूल हो रही है कि ऐसा लगता है कि हम पिछली पीढ़ी से लड़ कर कुछ बड़ी कामयाबी हासिल कर रहे हैं। लड़के सोचते हैं कि शिक्षकों से लड़ कर कामयाबी हासिल कर रहे हैं। उन्हें पता नहीं कि शिक्षकों से लड़ कर कामयाबी हासिल करने का कोई मतलब नहीं है। असल में हम जो भी लड़ रहे हैं, उपद्रव कर रहे हैं, उसमें हम अपने ही पैरों को पंगु कर रहे हैं। कल जिसको इसको इस देश में जीना होगा उसी के लिए यह सवाल है। लेकिन शायद जवान को इतनी समझ नहीं होती कि इतनी दर तक देख सके। शायद वह बहत दर तक नहीं देख पाता। भविष्य उसका है, लेकिन भविष्य में देखने की क्षमता जवान के पास नहीं होती। असल में जवान वर्तमान में जीता है। आज काफी मालूम पड़ता है। लेकिन अगर आज हम गलत जीएं तो कल हमारा गलत हो जाएगा। इसलिए मैं कहना चाहता हूं कि यह जो सवाल है, यह जो समस्या है कि हम दोनों पीढ़ियों के बीच भारत के अतीत और भारत के भविष्य के बीच अगर कोई सेतु, कोई ब्रिज बनाना चाहते हैं, तो यह काम भारत के जवानों को अपने हाथों में उठाना पड़ेगा। यह सवाल उन्हीं का है। और हिंदुस्तान की पुरानी पीढ़ियों को साफ जवानों से कह देना चाहिए कि सवाल तुम्हारे हैं, सवाल हमारे नहीं हैं। और अगर तुम आत्महत्या करने पर उतारू हो तो तुम आत्महत्या कर लो, हमें चिंता नहीं है। क्योंकि हम तो मर जाएंगे। हिंदुस्तान के जवान को यह बात साफ हो जानी चाहिए कि वह जो भी कर रहा है उसका अच्छा या बुरा परिणाम उसके ही ऊपर होने वाला है। यह बहुत साफ बात मालूम नहीं दिखाई पड़ती। ऐसा मालूम पड़ता है कि सब सवाल बूढ़ों के हैं। परेशानी बूढ़ों को हो रही है और जवान उनको परेशान करने में आनंदित मालूम हो रहा है। उसका आनंद बहुत महंगा पड़ेगा। और उसका आनंद बहुत अज्ञानपूर्ण है। उसके आनंद में बहुत प्रज्ञा नहीं है, उसके आनंद में बहुत विज़डम नहीं है। वह अपने हाथ से अपने आगे के रास्ते तोड़ रहा है और खराब कर रहा है। और ध्यान रहे कि जो वह अपने बूढ़ों के साथ कर रहा है वह अपने बच्चों से अपेक्षा कर ले कि उससे भी ज्यादा उनके साथ किया जाएगा। क्योंकि बच्चे वही सीखते हैं जो किया जाता है। मैं एक घर में मेहमान था, और मैं हैरान हुआ उस घर में एक घटना को देख कर। उस घर में तीन पीढ़ियां थीं, जैसे कि आमतौर में परिवारों में होती हैं। मैं दूसरे नंबर की पीढ़ी का मेहमान था। उस पीढ़ी के बेटे भी थे, उस पीढ़ी के बाप भी थे। उस पीढ़ी के सज्जन अपने बाप के साथ ऐसा दुर्व्यवहार करते थे जिसका कोई हिसाब नहीं। तीन दिन देख कर मैं तो हैरान हो गया। मैं तो अपरिचित मेहमान था, लेकिन तीन दिन देख कर मैं तो हैरान हो गया। लेकिन वे सज्जन अपने बेटे से बहुत अच्छे व्यवहार की अपेक्षा भी करते थे। मैंने एक दिन रात चलते वक्त उनसे कहा कि आप बड़े गलत खयालों में पड़े हैं। आपका बेटा भलीभांति देख रहा है कि आप अपने बाप के साथ क्या कर रहे हैं। तो आप यह भल कर भी मत सोचें कि आपका बेटा आपसे कमजोर निकलेगा। आपका बेटा आपसे भी मजबूत निकलेगा। और जो आप अपने बाप के साथ कर रहे हैं वह बेटा आपको ठीक से उत्तर दे जाएगा। आप बड़ी गलत अपेक्षा कर रहे हैं कि आप अपने बाप के साथ दुर्व्यवहार कर रहे हैं और अपने बेटे से सदव्यवहार की अपेक्षा कर रहे हैं।
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