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________________ भारत का भविष्य करने को राजी हैं उसको ज्यादा से ज्यादा तनख्वाह मिल सकेगी। जैसे अभी तक हमारा नियम था जो जितना काम करे उतना मिले। अब हमारा नियम होगा, आटोमेटिक के बाद, जो जितना कम काम करे उतना ज्यादा पाए। क्योंकि कम काम करने वाला आदमी समाज पर दोहरी कृपा कर रहा है। काम नहीं मांग रहा और बेकाम होने को राजी है। हमारी जो तकलीफ है वह तकलीफ इसलिए है कि हमारा सारा खयाल तो होता है पुरानी परिस्थिति का और नई परिस्थिति जब बनती है तो पुरानी पूरी परिस्थिति बदलेगी, उससे उत्तर नहीं मिलता। अब जैसे होता क्या है, आदमी की सारी उलझनें ऐसी हैं. अब आज हम आज भी हम चर्खे पर सत काते जा रहे हैं। अब हमको अंदाज नहीं है कि चर्खे से सूत कातना या लूम में भी सूत कातना अवैज्ञानिक है। अब सूत कातना ही अवैज्ञानिक है। उसका कारण यह है कि जब हम कपास से सूत बनाते थे तो कपास को पहले हमें सूत बनाना पड़ता है। फिर सूत को बुनना पड़ता है। अब यह निपट गंवारी हो गई है अब। लेकिन हमारी पुरानी आदत की वजह से... अब टेरीलीन है, उससे सीधा कपड़ा ढाला जा सकता है। सूत बनाने की जरूरत नहीं है। लेकिन पुरानी खोपड़ी की वजह से हम टेरीलीन को पहले सत बनाते हैं। परानी खोपडी, कपास का व्यापार हम टेरीलीन के साथ, और जितने नये सिंथेटिक चीजें बनी हैं कपड़े की उनके साथ कर रहे हैं पुरानी बुद्धि का प्रयोग। पहले सूत बनाएंगे, अब यह बिलकुल अनावश्यक मूर्खता है, इसको सूत बनाने की जरूरत ही नहीं है। यह तो सीधा ही ढल सकता है। सीधा ही, इसको काट कर दर्जी बनाए इसकी भी जरूरत नहीं है, क्योंकि वह काटना भी हमारी पुरानी बुद्धि है। इसका तो हम सीधा शर्ट ही ढाल सकते हैं, सीधा पेंट ही ढाल सकते हैं। असल में, जैसे और चीजें ढालते हैं अब कपड़ा भी ढल सकता है। लेकिन दिक्कत क्या होती है कि हमारे पास पुराना दिमाग है! जैसे अभी मैं लुधियाना था तो यूनिवर्सिटी बोलने गया था। तो वहां कोई, हम सात साल के बच्चे को स्कूल भेज देते हैं। अब भी हम सात साल के बच्चे को स्कूल भेजे चले जाते हैं। कोई नहीं पूछता कि सात साल के बच्चे को हमने स्कूल क्यों भेजा था? सात साल से बच्चे के स्कूल जाने का कौन सा संबंध है? आठ साल का क्यों नहीं? छह साल का क्यों नहीं? सात साल का हमने भेजना शुरू किया था कभी आज से पांच सौ साल पहले। स्कूल इतने दूर थे कि सात साल से कम बच्चा भेजा ही नहीं जा सकता था। बस इतना कुल कारण था। अभी भी हम भेजे चले जा रहे हैं सात साल के बच्चे को। अब कोई कारण नहीं है। अब हालतें उलटी हो गई हैं। अब मनोविज्ञान यह कह रहा है कि चार साल का बच्चा ही असल में शिक्षित किया जाना चाहिए। चार साल के पहले ही क्योंकि जिंदगी का पचास प्रतिशत सीख लेता है चार साल का बच्चा। पचास प्रतिशत बाकी जिंदगी में सीखेगा है। तो जिस बच्चे ने चार साल अशिक्षा में गुजार दिए अब इसको ठीक से शिक्षित करना असंभव है। लेकिन हमारी पुरानी आदत वह हम उसको जारी रखे हैं। हम सब चीजों के मामले में ऐसा हुआ है। सारी चीजों के मामले में ऐसा होता है कि हमारे पास दिमाग होता है पुराना, घटना घटती है नई, पुरानी परिस्थिति में नई घटना को जोड़ना चाहते हैं। इसको भूल जाते हैं कि नई घटना भी पैदा होगी नई चीज के साथ। तो मेरी अपनी समझ यह है कि जब तक हम रोक रहे हैं आटोमेटिक यंत्र को। Page 188 of 197 http://www.oshoworld.com
SR No.100002
Book TitleBharat ka Bhavishya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherOsho Rajnish
Publication Year
Total Pages197
LanguageHindi
ClassificationInterfaith & Interfaith
File Size2 MB
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