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भारत का भविष्य
बदलने से, न कभी यहां ठीक कर देने से, वहां ठीक कर देने से, वह चर्च इस योग्य न हुआ कि उसे जीवित माना जा सके। वह मुर्दा ही बना रहा। लेकिन जब सारे उपासक आने बंद हो गए। तब चर्च के संरक्षकों को भी सोचना पड़ा। क्या करें? और उन्होंने एक दिन कमेटी बुलाई। वह कमेटी भी चर्च बाहर ही मिली, भीतर जाने की उनकी भी हिम्मत न थी। वह किसी भी क्षण गिर सकता था। रास्ते चलते लोग भी तेजी से निकल जाते थे। संरक्षकों ने बाहर बैठ कर चार प्रस्ताव स्वीकृत किए। उन्होंने पहला प्रस्ताव स्वीकृत किया बहुत दुख से कि पुराने चर्च को गिराना पड़ेगा। और हम सर्वसम्मति से तय करते हैं कि पुराना चर्च गिरा दिया जाए। लेकिन तत्क्षण उन्होंने दसरा प्रस्ताव भी पास किया कि पराना चर्च हम गिरा रहे हैं इसलिए नहीं कि चर्च को गिरा दें, बल्कि इसलिए की नया चर्च बनाना है। दूसरा प्रस्ताव किया कि एक नया चर्च शीघ्र से शीघ्र बनाया जाए। और तीसरा प्रस्ताव उन्होंने किया कि नये चर्च में पुराने चर्च की ही इटें लगाई जाएं, पुराने चर्च के ही दरवाजे लगाए जाएं, पुराने चर्च की ही शक्ल में नया चर्च बनाया जाए। पुराने चर्च के जो आधार हैं, बुनियादें हैं, उन्हीं पर नये चर्च को खड़ा किया जाए। ठीक पुरानी जगह पर, ठीक पुराना, ठीक पुराने सामान से ही वह निर्मित हो। इसे भी उन्होंने सर्वसम्मति से स्वीकृत किया। और फिर चौथा प्रस्ताव उन्होंने स्वीकृत किया वह भी सर्वसम्मति से और वह यह कि जब तक नया चर्च न बन जाए तब तक पुराना न गिराया जाए। वह पुराना चर्च अब भी खड़ा है। वह पुराना चर्च कभी भी नहीं गिरेगा। लेकिन उसमें कोई उपासक अब नहीं जाते हैं। उस रास्ते से भी अब कोई नहीं निकलता है। उस गांव के लोग धीरे-धीरे भल ही गए हैं कि कोई चर्च भी है। भारत के धर्म की अवस्था भी ऐसी ही है। वह इतना पुराना हो चुका, वह इतना जराजीर्ण, वह इतना मृत कि अब उसके आसपास कोई भी नहीं जाता है। उस मरे हुए धर्म से अब किसी का कोई संबंध नहीं रह गया है। लेकिन वे जो धर्म के पुरोहित हैं, वे जो धर्म के संरक्षक हैं, वे उस पुराने को बदलने के लिए तैयार नहीं। वे निरंतर यही दोहराए चले जाते हैं कि वह पुराना ही सत्य है, वह पुराना ही जीवित है, उसे बदलने की कोई भी जरूरत नहीं
मैं आज की सुबह इसी संबंध में कुछ बातें आपसे करना चाहता हूं। क्या भारत धार्मिक है? भारत इसी अर्थों में धार्मिक है जिस अर्थों में वह नगर धार्मिक था, क्योंकि उस नगर में एक चर्च था। भारत धार्मिक है क्योंकि भारत में बहुत मंदिर हैं, मस्जिद हैं, गुरुद्वारे हैं। भारत इसी अर्थों में धार्मिक है जिस अर्थों में उस गांव के लोग धार्मिक थे। इसलिए नहीं कि वे मंदिर जाते थे बल्कि वे मंदिर जाने से बचने की कोशिश करते थे। भारत इसी अर्थों में धार्मिक है कि हर आदमी धर्म से बचने की चेष्टा कर रहा है। लेकिन उस गांव के लोग थोड़े ईमानदार रहे होंगे। वे मंदिर नहीं जाते थे तो उन्होंने यह मान लिया था कि हम नहीं जाते हैं। उन्होंने यह मान लिया था कि मंदिर पुराना है और उसके नीचे जान गंवाई जा सकती है, जीवन नहीं पाया जा सकता।
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