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________________ भारत का भविष्य नहीं फैलेगा तो कोई हर्जा नहीं होगा । आप तक ही पहुंचा तो काफी है। और ऐसा ही मैं चाहता हूं कि आपकी उत्सुकता भी व्यक्ति में हो। किसी व्यक्ति में लग जाए आग थोड़ी-बहुत । लग जाए चिराग । न लगे तो चिंता का कोई कारण नहीं है। क्योंकि दूसरे को तो हम बदल कर ही रहेंगे यह भी हिंसा है। और समाज को ऐसा बना कर ही रहेंगे जैसा हम चाहते हैं कि समाज होना चाहिए। यह बहुत गहरी अधिनायकशाही है । तो मैं कौन हूं। और अगर किसी आदमी को अज्ञानी रहने में ही आनंद आ रहा है तो मैं काहे के लिए उसको ज्ञानी बना कर कष्ट में डालूं । और फिर मैं कौन हूं तय करने वाला । यह उसके और परमात्मा के बीच का निर्णय है। मैं कौन हूं। मैं इतना ही कह सकता हूं कि मुझे अज्ञानी से ज्ञानी होने में ज्यादा आनंद आया, शायद तुम्हें भी आए। यह संक्रामक हो जाए तो ठीक है । अन्यथा दूसरे को बदलना, वह जो मिस मैरी माइंड है, वह थोड़ा हिंसात्मक है ही। कोई बदल जाए यह बिलकुल दूसरी बात है। पर हम सीधे उसमें आग्रहपूर्ण भी रहें तो ठीक नहीं है । हां, हम अपने को बदलें और उस बदलाहट, उस रोशनी में अगर किसी को कुछ दिखाई पड़ने लगे और वह फिर आए तो ठीक है। इसे इस भांति थोड़ा सोचें। और एक कैंप में बने तो आ जाएं। तो थोड़ा कैंप एक देखें कि मैं व्यक्ति की बदलाहट के लिए क्या कर रहा हूं। वह कैसे यह सक्रिय हो पाती है घटना । अभी एक कैंप है माथेरान में, जनवरी में, आठ से सोलह के बीच । इसमें बने तो इसमें आ जाएं। और नहीं तो फिर एक मार्च में है माउंटआबू, पच्चीस मार्च से । ये कैंप बने तो आ जाएं। इसमें कोई सात सौ आठ सौ लोग एक कैंप में आते हैं। बाहर से भी कोई बीस-पच्चीस लोग आने को हैं। और यह जो व्यक्ति का ... । आठवां प्रवचन भारत का भविष्य ए रेडियो टॉक बॉय ओशो ..अंत तक अमल नहीं करते। मैं तो बहुत कुछ करना भी चाह रही हूं बीबी जी । सच ! हां। यह सच फिर वही बात की आपने, आप करना चाह रही हैं या कुछ कर रही हैं। मैं तो यह जानना चाहती हूं। बीबी देखिए देश-विवाह हमारा पहला कर्तव्य है, पहला धर्म है, बस इसी के लिए हम कुछ योजनाएं बना रहे हैं। हां-हां, यानी और भी कुछ लोग हैं आपके पास। हां, मेरी कुछ पड़ोसनें भी अपना सहयोग दे रही हैं। भई वाह ! हम लोग सप्ताह में एक बार मिल बैठते हैं और फिर इस बैठक में बहुत सी बातें होती हैं। अच्छा, जरा किस विषय पर बातें होती हैं मैं भी सुनूं । बस देश के हित के लिए बहुत योजना बनाते हैं। Page 125 of 197 http://www.oshoworld.com
SR No.100002
Book TitleBharat ka Bhavishya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherOsho Rajnish
Publication Year
Total Pages197
LanguageHindi
ClassificationInterfaith & Interfaith
File Size2 MB
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