SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 12
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ भारत का भविष्य नीचे गिरा, वह सीधा गिरा।। उस फकीर ने कहा, अब तुम फिक्र छोड़ दो, हार का अब कोई उपाय नहीं है, हम हारना भी चाहें तो अब हार नहीं सकते, परमात्मा साथ है। सिक्के को खीसे में रख कर वे युद्ध में कूद पड़े। आठ दिन बाद, अपने से बहुत बड़ी फौजों को जीत कर वे वापस लौटे। उस मंदिर के पास से गुजरते थे, तो सैनिकों ने फकीर को याद दिलाई कि परमात्मा को कम से कम धन्यवाद तो दे दें, जिस परमात्मा ने हमें जिताया। उस फकीर ने कहा, परमात्मा का इससे कोई भी संबंध नहीं है आगे बढ़ो। उन सैनिकों ने कहा, आप भूल गए मालूम होता है। युद्ध की विजय के नशे में मालूम होता है धन्यवाद का भी खयाल नहीं। तो उस फकीर ने कहा, अब तुम पूछते ही हो तो मैं तुम्हें राज बताए देता हूं। उसने रुपया निकाल कर दे दिया। वह सिक्का दोनों तरफ सीधा था, उसमें कोई उलटा हिस्सा नहीं था। वे सैनिक जीते, क्योंकि जीत का खयाल निश्चित हो गया। विचार अंततः वस्तुएं बन जाते हैं, विचार अंततः घटनाएं बन जाते हैं। एडिंग्टन का एक बहुत प्रसिद्ध वचन है : थिंग्स ऑर थाट्स एंड थाट्स और थिंग्स। जिसे हम वस्तु कहते हैं, वह भी विचार है। और जिसे हम विचार कहते हैं, वह भी कल वस्तु बन सकता है। जिसे हम जिंदगी कहते हैं, वह कल किए गए विचारों का परिणाम है। जिसे हम आज कहते हैं, वह कल के विचारों का निष्कर्ष है। और कल जो होगा वह आज के विचारों का परिणाम होगा। मैं भारत को जवान देखना चाहता हूं। लेकिन भारत के मन को बदलना पड़ेगा, तो ही भारत जवान हो सकता है। मैं भारत को बूढ़ा नहीं देखना चाहता हूं। हम बहुत दिन बूढ़े रह चुके। हम बूढ़े हैं हजारों साल से। यह भारत का बुढ़ापा तोड़ना पड़ेगा, इस भारत के बुढ़ापे को मिटाना पड़ेगा। इस भारत के बुढ़ापे को अगर हम नहीं मिटा पाए तो अब तक हमने जो गुलामियां देखी थीं वे बहुत छोटी थीं। न तो मुसलमान इतनी बड़ी गलामी ला सकते थे, न अंग्रेज इतनी बड़ी गलामी ला सकते थे। जितनी बड़ी गुलामी कम्युनिज्म हिंदुस्तान में ला सकता है। और कम्यनिज्म की गलामी और भी खतरनाक इसलिए है कि अब तक जो भी Page 12 of 197 http://www.oshoworld.com
SR No.100002
Book TitleBharat ka Bhavishya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherOsho Rajnish
Publication Year
Total Pages197
LanguageHindi
ClassificationInterfaith & Interfaith
File Size2 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy