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________________ भारत का भविष्य न, न, न, वह जो अनुभव है वह सेक्स का नहीं सिर्फ वीर्यपात का, यह तो फर्क करता हूं न । वीर्यपात का जो अनुभव है इट इज जस्ट ए रिलीफ, इट इज़ नाट एन एक्सपीरिएंस । (प्रश्न का ध्वनिमुद्रण स्पष्ट नहीं।) हां, मेरा कहना यह है न, सेक्स का अनुभव जो है वह बिना प्रेम के संभव नहीं है, बिना प्रेम के संभव नहीं है। वह अत्यंत लविंग हार्मनी में संभव है । और जब हम जबरदस्ती करते हैं तो सिर्फ रिलीफ, जस्ट ए रिलीफ । जैसे एक आदमी बोझ से भरा हुआ है, उसने बोझ फेंक दिया और मुक्त हो गया । यह बोझ किसी भी तरह फेंका जा सकता है। इस बोझ को फेंकने में कोई भी, इसमें कोई स्त्री की भी जरूरत नहीं है। इसमें तो एक रबड़ की स्त्री भी काम दे सकती है। यानी इसमें कोई, इसमें कुछ लेना-देना नहीं है। और इसमें तो समझदार हो तो आप कोई की भी जरूरत नहीं है। ऑटो इरोटिक हो सकते हैं। लेकिन ये इसलिए मेरा कहना है, रेप जो है वह तो बिलो सेक्सुअल है, यानी सेक्सुअल भी नहीं है वह । और ध्यान जो है वह बियांड सेक्सुअल है। लेकिन इन सबके बीच एक सेतु का संबंध है । और वह संबंध अगर हम न ध्यान में रखें तो हम सेक्स को कभी भी ट्रांसफार्म नहीं कर सकते। तो मेरा जो कहना है कि विषयानंद में भी ब्रह्मानंद की एक किरण है। तो उसको, उसका मतलब यह ले लिया कि मैं दोनों को एक ही मानता हूं कि दोनों एक ही बात है । क्रिश्चिएन किलर और मीरा एक ही है। वह किसी अखबार में छाप दिया । कि मैं यह कहता हूं कि दोनों एक ही बात है। ये हम जो नतीजे निकाल लें, यह स्वाभाविक है एक अर्थ में। क्योंकि जो मैं कह रहा हूं, वे आगे का कहते हैं, पूरी बात नहीं हो पाती, कुछ नतीजे निकल आते हैं। दूसरा यह कि जो मैं कहता हूं और जब आप सुनते हैं तो जब आप अपने माइंड से सुनते हैं, तो जो माइंड में तैयारी पहले से है वह उसमें मिल जाती है, उससे कुछ हो जाता है। . आपको भी हिप्नोटाइज कर सकते हैं। मैं कहा इतना, बस यह आखिरी बात कर लें। मैं कहा इतना, मैं कहा यह, यह नहीं कहा कि नेहरू हिप्नोटाइज करते हैं। मैं कहा यह, समझा रहा था कि सम्मोहित किस तरह आदमी हो जाता है। मैं यह कहा कि जैसे कि नेहरू एक बड़े मंच पर खड़े हुए हैं या नेहरू की जगह मैं ही खड़ा हुआ हूं, इससे क्या फर्क पड़ता है। तो लोगों की आंखें घंटे भर तक ऊपर लगी हुई हैं। सम्मोहन का नियम यह है कि अगर आंख बिना झपके बहुत देर तक ऊपर उठी रहे तो वह आदमी सजेस्टिबल हो जाता है। उस आदमी को फिर जो भी बात कही जाए वह उसे बिना तर्क के स्वीकार कर लेता है। हिटलर जैसे लोगों ने तो जान कर इसका उपयोग किया। हिटलर मंच बनाएगा तो हाल में पूरा अंधकार करवा देगा। ताकि कोई आदमी किसी दूसरे को न देख सके। सिर्फ हिटलर ही दिखाई पड़े। हिटलर पर बड़े-बड़े लाइट रहेंगे, सारा कमरा अंधकारपूर्ण रहेगा। आपको पूरे वक्त हिटलर को ही देखना पड़ेगा। इतनी ऊंची मंच होगी, Page 110 of 197 http://www.oshoworld.com
SR No.100002
Book TitleBharat ka Bhavishya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherOsho Rajnish
Publication Year
Total Pages197
LanguageHindi
ClassificationInterfaith & Interfaith
File Size2 MB
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