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________________ पहला प्रवचन भारत का भविष्य भारत को जवान चित्त की आवश्यकता भारत का भविष्य मेरे प्रिय आत्मन्! है एक छोटी सी कहानी से मैं अपनी बात शुरू करना चाहूंगा। सुना मैंने कि चीन में एक बहुत बड़ा विचारक लाओत्से पैदा हुआ | लाओत्से के संबंध में कहा जाता है कि वह बूढ़ा ही पैदा हुआ। यह बड़ी हैरानी की बात मालूम पड़ती है। लाओत्से के संबंध में यह बड़ी हैरानी की बात कही जाती रही है कि वह बूढ़ा ही पैदा हुआ। इस पर भरोसा आना मुश्किल है। मुझे भी भरोसा नहीं है। और मैं भी नहीं मानता कि कोई आदमी बूढ़ा पैदा हो सकता है। लेकिन जब मैं इस हमारे भारत के लोगों को देखता हूं तो मुझे लाओत्से की कहानी पर भरोसा आना शुरू हो जाता है। ऐसा मालूम होता है कि हमारे देश में तो सारे लोग बूढ़े ही पैदा होते हैं। मुझे कहा गया है कि युवक और भारत के भविष्य के संबंध में थोड़ी बातें आपसे कहूं। तो पहली बात तो मैं यह कहना चाहूंगा... देख कर लाओत्से की कहानी सच मालूम पड़ने लगती है। इस देश में जैसे हम सब बूढ़े ही पैदा होते हैं। बूढ़े आदमी से मतलब सिर्फ उस आदमी का नहीं है जिसकी उम्र ज्यादा हो जाए, क्योंकि ऐसा भी हो सकता है कि आदमी का शरीर बूढ़ा हो और आत्मा जवान हो । लेकिन इससे उलटा भी हो सकता है। आदमी का शरीर जवान हो और आत्मा बूढ़ी हो। भारत के पास भी जवानों की कोई कमी नहीं है, लेकिन जवान आत्माओं की बहुत कमी है। और जवान आत्मा को बनाने वाले जो तत्व हैं, उनकी बहुत कमी है। चारों ओर युवक दिखाई पड़ते हैं, लेकिन युवक होने के जो बुनियादी आधार हैं उनका जैसे हमारे पास बिलकुल अभाव है। मैं कुछ प्राथमिक बातें आपसे कहूं। पहली तो बात, युवक मैं उसे कहता हूं जिसकी नजर भविष्य की ओर होती है, फ्यूचर की ओर होती है, जो फ्यूचर ओरिएनटेड है। और बूढ़ा मैं उस आदमी को कहता हूं जो पास्ट ओरिएनटेड है, जो पीछे की तरफ देखता रहता है। अगर हम बूढ़े आदमी को पकड़ लें, तो वह सदा अतीत की स्मृतियों में खोया हुआ मिलेगा। वह पीछे की बातें सोचता हुआ, पीछे के सपने देखता हुआ, पीछे की याददाश्त करता हुआ मिलेगा। बूढ़ा आदमी हमेशा पीछे की Page 1 of 197 http://www.oshoworld.com
SR No.100002
Book TitleBharat ka Bhavishya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherOsho Rajnish
Publication Year
Total Pages197
LanguageHindi
ClassificationInterfaith & Interfaith
File Size2 MB
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