SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 482
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ अध्याय ३१ : वह सप्ताह !--१ बुलाया और बात की ___ "मुझे रातको स्वप्नमें विचार आया कि इस कानूनके जवाबमें हमें सारे देशसे हड़ताल करनेके लिए कहना चाहिए। सत्याग्रह आत्मशुद्धिकी लड़ाई है । यह धार्मिक लड़ाई है । धर्म-कार्यको शुद्धिसे शुरू करना ठीक लगता है। एक दिन सभी लोग उपवास करें और कामधंधा बंद रखें। मुसलमान भाई रोजाके अलावा और उपवास नहीं रखते; इसलिए चौबीस घंटेका उपवास रखनेकी सलाह देनी चाहिए। यह तो नहीं कहा जा सकता कि इसमें सभी प्रांत शामिल होंगे या नहीं। बंबई, मद्रास, बिहार और सिंधकी आशा तो मुझे अवश्य है । पर इतनी जगहोंमें भी अगर ठीक हड़ताल हो जाय तो हमें संतोष मान लेना चाहिए।" यह तजवीज श्री राजगोपालाचार्यको बहुत पसंद आई। फिर तुरंत ही दूसरे मित्रोंके सामने भी रक्खी। सबने इसका स्वागत किया। मैंने एक छोटा-सा नोटिस तैयार कर लिया। पहले सन् १९१९के मार्चकी ३० तारीख रक्खी गई थी, किंतु बादमें ६ अप्रैल कर दी गई। लोगोंको खबर बहुत थोड़े दिन पहले दी गई थी। कार्य तुरंत करनेकी आवश्यकता समझी गई थी। अतः तैयारीके लिए लंबी मियाद देने की गुंजाइश ही नहीं थी। पर कौन जाने कैसे सारा संगठन हो गया ! सारे हिंदुस्तानमें-- शहरोंमें और गांवोंमें-हड़ताल हुई। यह दृश्य भव्य था ! वह सप्ताह !-१ दक्षिणमें थोड़ा भ्रमण करके बहुत करके मैं चौथी अप्रैलको बंबई पहुंचा। श्री शंकरलाल बैंकरका ऐसा तार था कि छठी तारीख का कार्यक्रम पूरा करनेके लिए मुझे बंबईमें मौजूद रहना चाहिए । किंतु उससे पहले दिल्ली में तो ३० मार्चको ही हड़ताल मनाई जा चुकी थी उन दिनों दिल्लीमें स्व० स्वामी श्रद्धानंदजी तथा स्व० हकीम अजमलखां साहबकी
SR No.100001
Book TitleAtmakatha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohandas Karamchand Gandhi, Gandhiji
PublisherSasta Sahitya Mandal Delhi
Publication Year1948
Total Pages518
LanguageHindi
ClassificationInterfaith & Interfaith
File Size70 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy