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________________ ४०० आत्म-कथा : भाग ५ नहीं देखता। फिर जनेऊधारणके मानी है--दूसरा जन्म लेना अर्थात् हम विचारपूर्वक शुद्ध हों, ऊर्ध्वगामी हों। प्रांज तो हिंदू-समाज और हिंदुस्तान दोनों गिरी दशामें हैं। इसलिए हमें जनेऊ पहननेका अधिकार ही कहां है ? जब हिंदू-समाज अस्पृश्यताका दोष धो डालेगा, ऊंच-नीचका भेद भूल जायगा, दूसरी गहरी बुराइयोंको मिटा देगा, चारों तरफ फैले अधर्म और पाखंडको दूर कर देगा, तब उसे भले ही जनेऊ पहननेका अधिकार हो। इसलिए जनेऊ धारण करनेकी आपकी बात तो मुझे पट नहीं रही है। हां, शिखा-संबंधी आपकी बातपर मुझे अवश्य विचार करना पड़ेगा। शिखा तो मैं रखता था, परंतु शर्म और डरसे उसे कटा डाला। मैं समझता हूं कि वह तो मुझे फिर धारण कर लेनी चाहिए। अपने साथियोंके साथ इस बातका विचार कर लूंगा।" स्वामीजीको जनेऊ-विषयक मेरी दलील न जंची। जो कारण मैंने जनेऊ न पहननेके पक्षमें पेश किये, वे उन्हें पहननेके पक्षमें दिखाई दिये। अस्तु । जनेऊके संबंधमें उस समय ऋषिकेशमें जो विचार मैंने प्रदर्शित किया था वह आज भी प्रायः नैसा ही कायम है। जबतक संसारमें भिन्न-भिन्न धर्मोका अस्तित्व है, तबतक प्रत्येक धर्मके लिए बाह्य संज्ञाकी आवश्यकता भी शायद हो; परंतु जब वह बाह्य संज्ञा आडंबरका रूप धारण कर लेती है अथवा अपने धर्म को दूसरे धर्मसे पृथक् दिखलानेका साधन हो जाय, तब वह त्याज्य हो जाती है। आजकल मुझे जनेऊ हिंदू-धर्मको ऊंचा उठानेका साधन नहीं दिखाई पड़ता । इसलिए मैं उसके संबंध उदासीन रहता हूं। . शिखाके त्यागकी बात जुदा है। यह शर्म और भयके कारण हुना था; इसलिए अपने साथियोंके साथ विचार करके मैंने उसे धारण करनेका निश्वय किया। पर अब हमको लक्ष्मण-झूलेकी ओर चलना चाहिए। ऋषिकेश और लक्ष्मण-झूलेके प्राकृतिक दृश्य मुझे बहुत पसंद आये । हमारे पूर्वजोंकी प्राकृतिक कलाको पहचानने की क्षमताके प्रति और कलाको कार्मिक स्वरूप देनेकी उनकी दूरंदेशीके प्रति मेरे मन में बड़ा आदर उत्पन्न हुआ, परंतु दूसरी ओर मनुष्यकी कृतिको वहां देखकर चित्तको शांति न हुई। हरद्वारकी तरह ऋषिकेशमें भी लोग रास्तोंको और गंगाके सुंदर किनारोंको गंदा कर डालते थे। गंगाके पवित्र पानीको
SR No.100001
Book TitleAtmakatha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohandas Karamchand Gandhi, Gandhiji
PublisherSasta Sahitya Mandal Delhi
Publication Year1948
Total Pages518
LanguageHindi
ClassificationInterfaith & Interfaith
File Size70 MB
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