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________________ अध्याय २७ : भोजनके और प्रयोग ३२७ भी मिलता है और आदत पड़नेके बाद तो मैंने देखा कि उनसे अधिक ही रस मिलता है । इस कारण इन तिथियोंके दिन सूखा उपवास अथवा एकासने ' को अधिक महत्त्व देता गया । फिर प्रायश्चित्त ग्रादिका भी कोई निमित्त मिल जाता तो उस दिन भी एकासना कर डालता । इससे मैंने यह अनुभव किया कि शरीर के अधिक स्वच्छ हो जानेसे रसोंकी वृद्धि हुई, भूख बढ़ी और मैंने देखा कि उपवासादि जहां एक ओर संयम साधन हैं वहीं दूसरी ओर वे भोगके साधन भी बन सकते हैं। यह ज्ञान हो जानेपर इसके समर्थन में उसी प्रकारके मेरे तथा दूसरोंके कितने ही अनुभव हुए हैं। मुझे तो यद्यपि अपना शरीर अधिक अच्छा और सुगठित बनाना था तथापि तो मुख्य हेतु था संयमको साधना और रसोंको जीतना । इसलिए भोजनकी चीजोंमें और उनकी मात्रामें परिवर्तन करने लगा, परंतु रस तो हाथ धोकर पीछे ही पड़े रहते । एक वस्तुको छोड़कर जब उसकी जगह दूसरी वस्तु लेता तो उसमेंसे भी नये और अधिक रस उत्पन्न होने लगते । इन प्रयोगों में मेरे साथ और साथी भी थे । हरमन केलनबेक इनमें मुख्य थे । इनका परिचय 'दक्षिण अकीका के सत्याग्रह के इतिहास' में दे चुका हूँ | इसलिए फिर यहां देनेका इरादा छोड़ दिया है। उन्होंने मेरे प्रत्येक उपवास में, एकासनेमें एवं दूसरे परिवर्तनोंमें, मेरा साथ दिया था। जब हमारे प्रांदोलनका रंग खूब जमा था तब तो मैं उन्हींके घरमें रहता था । हम दोनों अपने इन परिवर्तनोंके विषय में चर्चा करते और नये परिवर्तनोंमें पुराने रसोंसे भी अधिक रस पीते । उस समय तो ये संवाद बड़े मीठे भी लगते थे । यह नहीं मालूम होता था कि उनमें कोई बात अनुचित होती थी । पर अनुभवने सिखाया कि ऐसे रसोंमें गोते खाना भी अनुचित था । इसका अर्थ यह हुआ कि मनुष्यको रसके लिए नहीं; बल्कि शरीरको कायम रखने के लिए ही भोजन करना चाहिए। प्रत्येक इंद्रियां जब केवल शरीरके और शरीरके द्वारा आत्मा के दर्शनके ही लिए काम करती है तब उसके रस शून्यवत् हो जाते हैं और तभी कह सकते हैं कि वह स्वाभाविक रूपमें अपना काम करती है । ऐसी स्वाभाविकता प्राप्त करनेके लिए जितने प्रयोग किये जायं उतने " दिनमें एक बार भोजन करना ।
SR No.100001
Book TitleAtmakatha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohandas Karamchand Gandhi, Gandhiji
PublisherSasta Sahitya Mandal Delhi
Publication Year1948
Total Pages518
LanguageHindi
ClassificationInterfaith & Interfaith
File Size70 MB
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