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________________ १६८ आत्म-कथा : भाग ३. भी प्रकाशित किये गये । झगड़ा अंतको विलायततक पहुंचा; परंतु बिल नामंजूर न हुए । अब मेरा बहुतेरा समय सार्वजनिक कामोंमें ही जाने लगा। मैं लिख चुका हूं कि मनसुखलाल नाजर नेटालमें थे । वह मेरे साथ हुए । जबसे वह सार्वजनिक कामोंमें अधिक योग देने लगे तबसे मेरा बोझ कुछ हलका हुआ । मेरी गैरहाजिरी में आदमजी मियांखानने मंत्री - पदका काम सुचारुरूपसे किया। उनके समयमें सभासदोंकी संख्या भी बढ़ी और लगभग एक हजार, पौंड स्थानीय कांग्रेसके कोषमें बढ़े। हम मुसाफिरोंपर हुए उस हमलेकी बदौलत तथा पूर्वोक्त बिलोंके विरोधके फलस्वरूप जो जाग्रति हुई उसके द्वारा मैंने इस बढ़ती और भी बढ़ती करनेका विशेष उद्योग किया और अब हमारे कोष में लगभग पांच हजार पौंड जमा हो गये। मुझे यह लोभ लग रहा था कि यदि sident को स्थायी हो जाय और जमीन ले ली जाय तो उसके किराये से कांग्रेस आर्थिक दृष्टिसे निश्चित हो जाय । सार्वजनिक संस्थाओं का यही मुझे पहला अनुभव था । मैंने अपना विचार अपने साथियोंके सामने रक्खा । उन्होंने उसका स्वागत किया । मकान खरीदे गये और वे किरायेपर उठाये गये । जायदादका अच्छा ट्रस्ट बनाया गया । यह जायदाद आज भी मौजूद है; परंतु वह आपसके कलहका मूल हो गई है और उसका किराया आज अदालतमें जमा हो रहा है । यह दुःखद बात तो मेरे दक्षिण अफ्रीका छोड़ देनेके बाद हुई है; परंतु सार्वजनिक संस्थाओं के लिए स्थायी कोष रखनेके संबंध में मेरे विचार दक्षिण अफ्रीका में ही बदल गये। कितनी ही सार्वजनिक संस्थानोंका जन्म देने तथा उनका संचालन करने की जिम्मेदारी रह चाकनेके कारण मेरा यह दृढ़ निर्णय हुआ है कि किसी भी सार्वजनिक संस्थाको स्थायी कोषपर निर्वाह करनेका प्रयत्न न करना चाहिए; क्योंकि इसमें नैतिक अधोगतिका बीज समाया रहता है । सार्वजनिक संस्थाका अर्थ है लोगोंकी मंजूरी और लोगोंके धनसे चलनेवाली संस्था | जब लोगोंकी मदद मिलना बंद हो जाय तब उसे जीवित रहनेका fear हीं । स्थायी संपत्तिपर चलनेवाली संस्था लोकमत से स्वतंत्र होती हुई देखी जाती है और कितनी ही बार तो लोकमत के विपरीत भी प्राचरण करती है । इसका अनुभव भारतवर्ष में हमें कदमकदमपर होता है । कितनी ही धार्मिक
SR No.100001
Book TitleAtmakatha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohandas Karamchand Gandhi, Gandhiji
PublisherSasta Sahitya Mandal Delhi
Publication Year1948
Total Pages518
LanguageHindi
ClassificationInterfaith & Interfaith
File Size70 MB
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