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________________ अध्याय १५ : धार्मिक मं १३८ हमें काम करना पड़ा था; क्योंकि मि० ब्रेकरका संघ रविवारको सफर न करता था और बीचमें रविवार पड़ गया था । बीचमें तथा स्टेशनपर मुझे होटलवालेने होटल में ठहरनेसे तथा चख चख होनेके बाद ठहरनेपर भी भोजनालय में भोजन करने देने से इन्कार कर दिया; पर मि० बेकर आसानी से हार माननेवाले न थे । वह होटल में ठहरनेवालोंके हकपर अड़े रहे; परंतु मैंने उनकी कठिनाइयोंका अनुभव किया । वेलिंग्टन में भी मैं उनके पास ही ठहरा था। वहां उन्हें छोटी-छोटी-सी बातों में असुविधा होती थी । वह उन्हें ढांकनेका शुभ प्रयत्न करते थे; फिर भी वे मेरे ध्यानमें आ जाया करती थीं । सम्मेलन में भावुक ईसाइयोंका अच्छा सम्मिलन हुआ। उनकी श्रद्धा देखकर मुझे आनंद हुआ। मि० मरेसे परिचय हुआ । मैंने देखा कि मेरे लिए बहुतेरे लोग प्रार्थना कर रहे थे । उनके कितने ही भजन मुझे बहुत ही मीठे मालूम हुए । सम्मेलन तीन दिनतक हुआ। सम्मेलनमें सम्मिलित होनेवालोंकी मिकताको तो मैं समझ सका, उसकी कद्र भी कर सका, परंतु अपनी मान्यता-अपने धर्म में परिवर्तन करनेका कारण न दिखाई दिया। मुझे यह न मालूम हुआ कि मैं अपनेको ईसाई कहलानेपर ही स्वर्गको जा सकता हूं या मोक्ष पा सकता हूं। जब मैंने यह बात अपने भले ईसाई मित्रोंसे कही तब उन्हें दुःख तो हुआ; पर मैं लाचार था । मेरी कठिनाइयां गहरी थीं। यह बात कि ईसामसीह ही एकमात्र ईश्वरका पुत्र है, जो उसको मानता है उसीका उद्धार होता है, मुझे न पटी । ईश्वरके यदि कोई पुत्र हो सकता है तो फिर हम सब उसके पुत्र हैं। ईसामसीह यदि ईश्वरसम हुँ, ईश्वर ही हैं, तो मनुष्य मात्र ईश्वरसम हैं, ईश्वर हो सकते हैं । ईसाकी मृत्युसे और उसके लहू से संसार के पाप धुल जाते हैं, इस बातको अक्षरशः मानने के लिए बुद्धि किसी तरह तैयार न होती थी । रूपकके रूपमें यह सत्य भले ही हो । फिर ईसाई मतके अनुसार तो मनुष्यको ही आत्मा होती है। दूसरे जीवोंको नहीं, और देहके नाशके साथ ही उसका भी सर्वनाश हो जाता है; पर मेरा मत इसके विपरीत था । ईसाको त्यागी, महात्मा, देवी शिक्षक मान सकता था; परंतु एक अद्वितीय पुरुष नहीं । ईसाकी मृत्युसे संसारको एक भारी उदाहरण मिला; परंतु उसकी
SR No.100001
Book TitleAtmakatha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohandas Karamchand Gandhi, Gandhiji
PublisherSasta Sahitya Mandal Delhi
Publication Year1948
Total Pages518
LanguageHindi
ClassificationInterfaith & Interfaith
File Size70 MB
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