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अध्याय ११ : ईसाइयोंसे परिचव
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दी गई हैं, उनसे मुझे लाभ न हुआ; क्योंकि यह मेरी नास्तिकताका युग न था; और जो युक्तियां ईसामसीह के अद्वितीय अवतार के संबंध में अथवा उसके मनुष्य और ईश्वर के बीच संधि-कर्त्ता होनेके विषय में दी गई थीं, उनकी भी छाप मेरे दिलपर न पड़ी ।
परं कोट्स पीछे हटने वाले आदमी न थे। उनके स्नेहकी सीमा न थी । उन्होंने मेरे गलेमें वैष्णव कंठी देखी । उन्हें यह वहम मालूम हुआ, और देखकर दुःख हुआ । " यह ग्रंथ विश्वास तुम जैसों को शोभा नहीं देता । लाओ तोड़ दूँ । 'यह कंठी तोड़ी नहीं जा सकती। माताजीकी प्रसादी है ।
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पर तुम्हारा इसपर विश्वास है ?
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'मैं इसका गूढ़ार्थ नहीं जानता । यह भी नहीं भासित होता कि यदि इसे न पहनूं तो कोई अनिष्ट हो जायगा । परंतु जो माला मुझे माताजीने प्रेमपूर्वक पहनाई है, जिसे पहनाने में उसने मेरा श्रेय माना, उसे मैं बिना प्रयोजन नहीं निकाल सकता | समय पाकर जीर्ण होकर जब यह अपने श्राप टूट जायगी तब दूसरी मंगाकर पहननेका लोभ मुझे न रहेगा; पर इसे नहीं तोड़ सकता । कोट्स मेरी इस दलीलकी कद्र न कर सके; क्योंकि उन्हें तो मेरे धर्मके प्रति ही अनास्था थी । वह तो मुझे अज्ञान कूपसे उबारनेकी आशा रखते थे । वह मुझे इतना बताना चाहते थे कि अन्य धर्मोमें थोड़ा-बहुत सत्यांश भले ही हो; परंतु पूर्ण सत्य रूप ईसाई धर्मको स्वीकार किये बिना मोक्ष नहीं मिल सकता, और ईसामसीह की मध्यस्थताके बिना पाप-प्रक्षालन नहीं हो सकता, तथा सारे पुण्य कर्म निरर्थक हैं । कोट्सने जिस प्रकार पुस्तकों से परिचय कराया उसी प्रकार उन ईसाइयोंसे भी कराया, जिन्हें वह कट्टर समझते थे। इनमें एक प्लीमथ ब्रदर्सका भी परिवार था ।
'प्लीमथ ब्रदरन्' नामक एक ईसाई - संप्रदाय है । कोट्सके कराये बहुतेरे परिचय मुझे अच्छे मालूम हुए। एसा जान पड़ा कि वे लोग ईश्वर - भीरु थे; परंतु इस परिवारवालोंने मेरे सामने यह दलील पेश की--" हमारे धर्मकी खूत्री ही तुम नहीं समझ सकते । तुम्हारी बातोंसे हम देखते हैं कि तुम हमेशा बात-बात में अपनी भूलोंका विचार करते हो, हमेशा उन्हें सुधारना पड़ता है, नसुबरें तो उनके लिए प्रायश्चित्त करना पड़ता है । इस क्रियाकांडसे तुम्हें मुक्ति