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________________ आत्म-कथा : भाग १ केवल रोटी, उबाले हुए आलू या गोभी ही हो सकती थी । शुरू में तो वे भी अच्छे न लगते थे, इसलिए मैं नहीं खाता था । बादको जब वे मुझे स्वादिष्ट लगने लगे तत्र तो मुझे दूसरी चीजें प्राप्त करनेका भी सामर्थ्य प्राप्त हो चुका था । विद्यार्थियोंके लिए एक प्रकारका खाना होता था और बेंचरों ( विद्यामंदिर के अध्यापकों ) के लिए दूसरे प्रकारका और भारी खाना होता था । मेरे साथ एक पारसी विद्यार्थी थे । वह भी निरामिष भोजी बन गये थे । हम दोनोंने मिलकर बेंचरोंके भोजनके पदार्थोंमेंसे निरामिष भोजियोंके खाने योग्य पदार्थ प्राप्त करने के लिए प्रार्थना की। वह मंजूर हुई, और हमें बेंचरोंके टेबलसे फलादि और दूसरे शाक भी मिलने लगे । , शराबको तो मैं छूतातक न था । चार-चार विद्यार्थियोंमें शराबकी बोतलें दी जाती थीं। इसलिए ऐसी चौकड़ियोंमें मेरी बड़ी मांग होती थी । क्योंकि मैं शराब नहीं पीता था, इसलिए दो बोतलें शेष तीनोंमें उड़ सकती फिर इन सत्रोंमें एक बड़ी रात ( ग्रैंड नाइट ) भी होती थी । उस दिन 'पोर्ट और 'शेरी 'के अलावा 'शेम्पेन' भी मिलती थी । शेम्पेनका मजा कुछ और ही समझा जाता है । इसलिए इस बड़ी रातको मेरी कीमत अधिक आंकी जाती थी, और उस रातको हाजिर रहनेके लिए मुझे निमंत्रण भी दिया जाता । ८ I इस खाने-पीने से बैरिस्टरीकी पढ़ाईमें क्या अधिकता हो सकती है, यह मैं तब समझ सका था और न आज ही समझ सका हूं। हां, ऐसा एक समय rator कि जब ऐसे भोजोंमें बहुत ही थोड़े विद्यार्थी होते थे । तब उनमें और Train वार्तालाप होता और व्याख्यान भी दिये जाते थे । इसमें उन्हें व्यावहारिक ज्ञान प्राप्त हो सकता था, भली-बुरी पर एक प्रकारकी सभ्यता वे मीख सकते थे और व्याख्यान देने की शक्तिका विकास कर सकते थे। किंतु मेरे समयमें तो यह सब असंभव हो गया था। बेंचर तो दूर अछूत होकर बैठते थे । इस पुराने रिवाजका बाद में कुछ भी अर्थ नहीं रह गया था, फिर भी प्राचीनता - प्रेमी -- धीमे--- इंग्लैंड में वह अभीतक चला आ रहा है । कानूनकी पढ़ाई आसान थी । बैरिस्टर विनोदमें 'डिनर बैरिस्टर 'के नामसे पुकारे जाते थे। सभी जानते थे कि परीक्षाका मूल्य नहींके बराबर है । मेरे समयमें दो परीक्षाएं होती थीं। रोमन लॉकी और इंग्लैंडके कानूनोंकी ।
SR No.100001
Book TitleAtmakatha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohandas Karamchand Gandhi, Gandhiji
PublisherSasta Sahitya Mandal Delhi
Publication Year1948
Total Pages518
LanguageHindi
ClassificationInterfaith & Interfaith
File Size70 MB
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