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________________ नकुलीश - पाशुपत दर्शनम् २७३ इस प्रकार कहा है- 'यदि ज्ञान मात्र से [ मोक्ष मिलता है | तो शास्त्र व्यर्थ हो जायेंगे, ईश्वर का साक्षात् दर्शन करना दुर्लभ ही है; तत्त्वों का यथार्थ निश्चय पञ्चार्थ ( पाँच पदार्थों का प्रतिपादक पाशुपतशास्त्र ) के बिना हो ही नहीं सकता' इसलिए पुरुत्रार्थ की कामना करनेवाले उत्तम पुरुषों को पाँच पदार्थों का प्रतिपादन करनेवाले पाशुपत - शास्त्र का आश्रय लेना चाहिए - यही अच्छा है । इस प्रकार श्रीमान् सायण माधव के सर्वदर्शनसंग्रह में नकुलीश - पाशुपत-दर्शन [ समाप्त हुआ । ] इति बालकविनाशङ्करेण रचितायां सर्वदर्शनसंग्रहस्य प्रकाशाख्यायां व्याख्यायां नकुलीशपाशुपतदर्शनमवसितम् ॥ १८ स० सं०
SR No.091020
Book TitleSarva Darshan Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUmashankar Sharma
PublisherChaukhamba Vidyabhavan
Publication Year
Total Pages900
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Philosophy
File Size38 MB
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