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आनन्द प्रवचन : भाग ६
जाने पर व्यक्ति का अपना तो सर्वनाश होता ही है, उसके परिवार एवं वंश को भी उसका भयंकर कुफल भोगना पड़ता है। एक ऐतिहासिक उदाहरण लीजिए
उन दिनों अमहिलपुर पाटण का राजा काणघेला था। वह कामवासना में अन्धा होकर किसी भी सुन्दर स्त्री को नहीं छोड़ता था। एक दिन करणघेला की कुदृष्टि अपने राज्य के दीवान माधव की रूपवती स्त्री रूपसुन्दगी पर पड़ी। उसका चौवन से मदमाता शरीर, अंगापांगों का सौष्ठव एवं अद्भुत रूप रखकर करणघेला उस पर मोहित हो गया। वह कामविह्वल होकर उसे पाने के लिए दांवपेच लगाने लगा। काम-कुपित करणघेला ने काम के नशे में चूर होकर एक मि माधव को बुलाकर अपने राज्य के किसी कार्यवश परदेश भेज दिया। इस प्रकार रास्ता साफ कर करणघेला ने रूपसुन्दरी को अपने अन्तःपुर में जबरदस्ती उठा लाने के लिए सशस्त्र टुकड़ी भेजी। टुकड़ी ज्यों ही माधव के यहाँ पहुंची, उसे माधव के छोटे भाई केशव ने रोक दिया। अतः केशव के साथ काफी देर तक टुकड़ी की झपट हुई, इसमें केशव का देहान्त हो गया। अतः रूपसुन्दरी को जबरन उठाकर वह टुकड़ी करणणना के अन्तःपुर में ले आई। उधर मृत केशव का अग्निसंस्कार करने के लिए उसके जागी-भाई श्मशान में ले गये।
इधर राज्य कार्य सम्पन्न करके माधव जड़ वापस लौटा और नगर के बाहर ही उसे अपने छोटे भाई केशव की मृत्यु और अपनी पत्नी के अपहरण का समाचार मिला तो उसके अन्तर में वैराग्नि भभक उठी। उसके अंग-अंग में क्रोध व्याप्त हो गया। वह आवेग ही आवेग में वहीं से दिल्ली की ओर रवाना हुआ। दिल्ली के सुल्तान अलाउद्दीन से मिला। अलाउद्दीन को अपने पाटण का राज्य दिलाने का प्रलोभन दिया। अलाउद्दीन तो इसी फिराक में था। उसने इस मौके से लाभ उठाने के लिए अपने छोटे भाई को विशाल सेना लेकर माधव के साथ पाटन पर चढ़ाई करने भेजा। एकाएक गुजरात पर मुस्लिम सेना छा गई। गुजरात के कोने-कोने में कहर बरस उठा। चारों ओर भयंकर लूटपाट एवं कत्लेआम होने लगा। विशाल सेना के सामने टिकने की कामान्ध करणघेला में कहाँ हिम्मत थी। वह अपनी पुत्री देवलदेवी को लेकर भाग गया। पाटण अनाथ हो गया। करणघेला की अपवती रानी कैलादेवी मुस्लिम सेना के हाथ में आ गई। उसने उनका अपहरण करके बादशाह अलाउद्दीन की सेवा में दिल्ली भेज दिया। करणघेला ने जो अत्याचार माधव को पत्नी रूपसुन्दरी पर किया था, उसी की प्रतिक्रिया के रूप में मुस्लिम बादशाह अलाउदीन ने उसकी पत्नी कैलादेवी के साथ किया, करण की रानी को मुस्लिम बादशाह के अधीन होना पड़ा। उसका सतीत्व नष्ट हो गया। इतना ही नहीं, उसे बादशाह की बेगम बनकर रहना पड़ा।
यह है काम-कुपित व्यक्तियों की बुद्धिभ्रधाता के कारण होने वाले सर्वनाश का ज्वलन्त उदाहरण।
___ कामान्ध ययाति का उदाहरण मैं पहले दे चुका हूं। उसने भी काम-प्रकोप वश अपना तप, पुण्य, धर्म, यश, यौवन, शरीर, इन्द्रेयां, मन आदि सर्वस्व फूंक दिया।