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________________ • [३५] आनन्द प्रवचन भाग १ जामन डाल देते हैं तो वह दही बन जाता है। अब बताइये दूध बिगड़ा या सुधरा ? दूध तो बिगड़ा पर उसकी कीमत बढ़ गई। और दूसरी तरफ वही दूध है । । केन्तु उसमें नमक गिर गया। परिणाम क्या हुआ ? उसकी किमत घट गई। अब बिगड़ा कौन ? और सुधरा कौन ? आप समझ ही गए होंगे कि दूध का दही बना तो वह सुधर गया। व्यवहार दृष्टि से उसमें पतला पन मिटकर गाढ़ापन आ गया । किन्तु नमक गिर जाने से उसकी कीमत घट गई। वह किसी भी काम का न रहा। इसलिये कबीर आगे कहते हैं - पीतल के गंग सोना बिगड़े, वो सोना पंतिल हो जाई । तुम बिगड़ो राम दुहाई ! स्वर्ण का रंग पीला होता है शेर पीतल का भी स्वर्ण के रस में अगर पीतल का रस पड़ जाए तो क्या होगा सोना फीका हो जाएगा। उस फीके सोने को अगर कोई जौहरी के पास ले जा तो जौहरी तुरन्त कह देगा 'आप पीतल लेकर आए हैं। देखिये, असल में थोड़ा सा नकली रस गिर गया तो सोने की कीमत घट गई। किन्तु अगर पीतल में थोड़ा सा स्वर्ण रस गिर जाए तो? पीतल की कीमत कितनी बढ़ जाएगी ? बहुत अधिक । कहने का अभिप्राय यही है गिड़ना अर्थात् बदलना दो प्रकार का होता है और इसीलिये 'कबीर' कहते हैं- मैं बिगड़ा तो ठीक ही हुआ। क्योंकि मैं सन्तों के साथ बिगड़ा हूँ। भक्ति, लाग और वैराग्य में रंग गया हूँ। अतः मेरा बिगड़ना, बिगड़ना नहीं है यह तो सुधरान है। पर तुम कहीं सचमुच ही मत बिगड़ जाना और इसके लिये तुम्हें राम की दुहाई है। सन्त तुकाराम जी भी जब तक जीवित थे, लोग उन्हें 'एड़ा-तुका' कहते थे। ऐड़ा यानी मूर्ख - पागल। उनका नाम भी पूरा नहीं लेते थे। किन्तु सन्तों ने दुनियाँ के स्वभाव को समझकर अपने आपको समझा लिया कि दुनियाँ का रंग दूसरा है और भक्ति का रंग दूसरा जुनियाँ की परवाह करेंगे तो भक्ति का रंग नहीं चढ़ेगा। ऐसा विचार करके ही वे अंसार द्वारा किए मानापमान की परवाह नहीं करते। किसी का आदर पाकर प्रसन्न नहीं होते और अनादर पाकर नाराज नहीं होते। कहा भी है--- जेन वन्दे न से कुप्पे, वंदिओ न समुकसे । एव पत्रेसमाणस्स सामण्णमनुचिठ्ठई || दशवैकालिक सूत्र
SR No.091002
Book TitleAnand Pravachana Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandrushi
PublisherRatna Jain Pustakalaya
Publication Year1994
Total Pages346
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size7 MB
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