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________________ है। प्रत्येक विषय को सुव्यवस्थित करने की अनूठी क्षमता और अपनी आकर्षक शैली के द्वारा प्रवचनों को रुचिकर और हृदयग्राही बनाने का आपका प्रयत्न अति सराहनीय है। श्री 'अमर भारती' के सुप्रसिद्ध सम्पादक श्री चन्द जी सुराणा 'सरस'ने पुस्तक के प्रकाशन का संपूर्ण दायित्व अपने ऊपर लेकर इसे सर्वांगीण सौंदर्य प्रदान करने में जो सहयोग दिया है, इसके लिए संस्था आपकी आभारी है। आशा है धर्म-प्रेमीबन्धु इन प्रवचनों को हृदयंगम करते हुए अपने जीवन को उन्नत बनाने का प्रयत्न करेंगे तथा इनसे अधिकाधिक लाभ उठायेंगे । मंत्री • तृतीय संस्करण . राष्ट्रसंत आचार्य श्री आनन्द ऋषि जी महाराज साहब के प्रवचनों के प्रकाशन की श्रृंखला आगे बढ़ती रही और स्वल्प अवधि में ही १ से १२ भाग तक प्रकाशित हो गये। ये प्रवचन अत्यन्त सरल, सारगर्भित और जनोपयोगी सिद्ध हुए हैं। प्रथम भाग की पुन:-पुन: माँग आने से यह तृतीय संस्करण पाटकों की सेवा में प्रस्तुत है । आशा है पाठक इससे भी पूर्ववत् लाभ उठायेंगे । मुद्रण कार्य को शुद्ध एवम् स्वच्छ कराने में श्री. ईश्वरलालजी भंडारी एवं उनके अन्य सहयोगियों को विस्गरण नहीं किया जा सकता। एतदर्य संस्था के संचालक गण उनके हृदय से आभारी है। मंत्री श्री रत्न जैन पुस्तकालय आचार्य श्री आनन्द ऋषिजी म. मार्ग, अहमदनगर.
SR No.091002
Book TitleAnand Pravachana Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandrushi
PublisherRatna Jain Pustakalaya
Publication Year1994
Total Pages346
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size7 MB
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