SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 3
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ INDIANRA - I NITION प्रकाशकीय ANIHINAINI अत्यन्त प्रसन्नता की बात है कि आज हम श्रमणसंघ के आचार्य श्री आनन्द ऋषि जी महाराज के प्रकान संग्रह को पाठकों के समक्ष प्रस्तुत कर रहे हैं। कई वर्षों से जनता की मांग थी कि आचार्य देव के प्रवचन प्रकाशित हों ताकि उनका लाभ केगल प्रवचन स्थल पर उपस्थित व्यक्ति ही नहीं, वरन् दूरस्थ व्यक्ति भी उठा सकें। किन्तु आचार्य सम्राट की इस ओर उदासीनता होने के कारण यह कार्य नहीं हो सका। आपकी यधिक रुचि धार्मिक संस्थाओं के निर्माण और धार्मिक शिक्षा के प्रचार में नही। आपके सदप्रयत्नों के फलस्वरूप ही पाथर्डी बोर्ड (अहमदनगर) की परीक्षाओं की व्यवस्था चालू है, जिसके द्वारा जैन समाज के अनेकानेक व्यकियों ने तथा विशेषकर संत व साध्वियों ने लाभ उठाया है तथा धर्म-ग्रन्थों का व्यवस्थित अध्ययन किया है। साधु समाज के लिए परीक्षाओं की इस व्यवस्था का महत्त्व अवर्णनीय है। प्राकृत भाषा के प्रचार में आपकी गहरी अभिरुचि रही है और इसीलिए उत्तराध्ययन सूत्र, तथा वातासूत्र आदि का अनुवाद आपकी प्रेरणा के कारण ही विद्ववर्य पं. श्री. शोभाचंद्रजी भारिल्ल के द्वारा किया गया । अनेकों चरित्र ग्रन्थ एवं उत्तम साहित्य का सृजन भी आपके प्रयत्न व प्रेरणा से हुआ। किन्तु अब आपके सारगर्भित, जीवन साफल्य में सहायक एवं मर्मस्पर्शी प्रवचनों की मांग श्रद्धालु भक्तों की ओर से तीव्रतम होने के कारण इस वर्ष खशालपुरा श्री संघ ने इस ओर कदम बढ़ाया तथा आशुलेखक श्री नौरतनमल जी मेहता की सहायता से प्रवचनों को लिपिबद्ध करवाकर अपनी प्रगाढ़ भक्ति का परिचय दिय!। श्रद्धेय उपाध्याय श्री अमरचन्द जी महाराज ने हमारी प्रार्थना स्वीकार कर पुस्तक पर महत्त्वपूर्ण प्रारम्भिक वचन लिखने की जो महती कृपा की है उसके लिए हम किन शब्दों में कृतज्ञता ज्ञापित करें । पुस्तक का संपादन शुश्री कमला जैन 'जीजी' एम. ए. ने किया
SR No.091002
Book TitleAnand Pravachana Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandrushi
PublisherRatna Jain Pustakalaya
Publication Year1994
Total Pages346
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy