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________________ • [२३९) आनन्द प्रवचन : भाग १ पर जब दाम पूछे गए तो कहने लगा - 'कीगत तो इसकी मुझे मालूम नहीं है, जौहरी को दिखाने पर पता चलेगा।' तो बताओं, बिना जौहरी को गुरु बनाए क्या वह श्रावक नीलम की कीमत जान सकता था?' नहीं, बिना जौहरी की संगति किये वह बहुमूल्य पदार्थ की पहचान और उसकी कीमत नों आंक सकता। कवि ने आगे कहा है : वैद्य के न मिल्या कहूँ, बूंटी ने बताई देत, बिना भेद पाये, वह औषध है छार सी। कहा है कि वैद्य से बिना मिले जड़ी-बूटियों की पहचान और उनके गुण अथवा नाना प्रकार की कीमती भरमों के प्रभाव को कौन जान सकता है? मान लीजिए, किसी के पिता नामांकित वैद्य थे। वे घर में नाना प्रकार की दवाइयाँ, कादे, अवलेह या भस्में बनाया करते थे। किन्तु उनके स्वर्गवास के पश्चात् उनका लड़का, जिसने वैद्यक का नाम भी कभी पसन्द नहीं किया, क्या किसी को साधारण सिर-दर्द की दवा भी दे सकता है? नहीं, उसके लिये तो सब जड़ी-बूटियों घास-फूस के समान, और भस्में चाहे वे अभ्रक, लोह या अन्य किसी भी कीमती पदार्थ की ही क्यों न हों, राख के समान ही हैं। अन्त में कवि ने कहा है - दाखे दलपपराय, देखलो ये शखला थीं, बिना गुरु-ज्ञान जैसे अंधेरे में आरसी। कवि दलपतराय जी का कथन है - इन दृष्टान्तों से भली-भाँति समझ लेना चाहिए कि जिस प्रकार अंधेरे में रखे हुए दर्पण में चेहरा दिखाई नहीं दे सकता, उसी प्रकार अज्ञान का अंधकार होने पर चाहे पोथियों का अंबार भी लगा रहे, मनुष्य उसमें से कुछ भी हासिल नहीं कर सकता। ज्ञान प्राप्त करने के लिये तो उसे गुरु के संपर्क में जाना ही होगा, सकी सेवा में बैठना होगा तथा विनय और श्रद्धापूर्वक उनसे ज्ञान हासिल करना होगा। इसी विषय में मराठी भाषा के प्रसिद्ध कहि संत तुकाराम जी कहते हैं : सदगुरु वांचो नी सांपड़ेना सीय, धरावे ते पाय आधी-आधीं।।१।। सदगुरु के बिना मानव को सही मार्ग मिलना संभव नहीं है। सदगुरु की अथवा संतों की संगति करने पर तथा उनसे ज्ञान-चर्चा करने पर ही उसे इस सांसारिक भूल-भूलैया से निकलने का रास्ता मिल सकेगा। पद्य में केवल गुरु ही नहीं, वस् सद्गुरु का उल्लेख किया है। इस पर गहराई से विचार करना चाहिये। गुरु कहलाने वाले तो अनेक व्यक्ति हमें मिल
SR No.091002
Book TitleAnand Pravachana Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandrushi
PublisherRatna Jain Pustakalaya
Publication Year1994
Total Pages346
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size7 MB
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