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________________ • [२२७] को पतित बनाकर छोड़ता है। कहते हैं कि एक बार गौतम बुद्ध वे शिष्य आपस में विवाद करने लगे - संसार का कौन सा दुर्गुण आत्माओं का पता करता है ? — कि किसी ने कहा - 'धन आत्मा का पतन की ओर ले जाता है। किसी 'नारी ने कहा 'शराब आत्मा को पतित बनाती है।' और किसी ने कहा मानव के पतन का कारण बनती है।' आनन्द प्रवचन भाग १ विवाद बढ़ गया, पर शिष्य कोई समाधान प्राप्त नहीं कर सके। अतः वे सब बुद्ध के पास पहुँचे और उन्हें अपने विवाद के विषय में बताया। किया। बुद्ध अपने शिष्यों की बात सुनकर मुस्कराए और बोले छिद्र रहित सूखे हुए तुम्बे को जल में डाल दिया जाय तो क्या वह डूबेगा ?" 'नहीं भगवन्!' सभी शिष्य एक स्वर से गेल उठे। अच्छा, अगर तुम्बे में एक छिद्र कर दिया जाय तो?" बुद्ध ने पुनः प्रश्न "वह जल में डूब जायगा मंते !" और उसमें कई छिद्र कर दिए जायें तो ? बुद्ध का प्रश्न था । "तब भी वह डूबेगा प्रभु ! होकर उत्तर दे रहे थे। "अगर एक " शिव्य गुरुदेव के प्रश्नों का कुछ चकित अंत में तथागत ने कहा -- "भिक्षुओं! धन-वैभव तथा सुरासुन्दरी आदि सभी आत्मा के लिए छिद्र हैं। जैसे अनेक छिद्र या एक ही छिद्र तूम्बे को जल में डुबा देता है। ठीक इसी प्रकार क्रोध, मान, माया, लोभ तथा राग-द्वेष आदि सभी दुर्गुण आत्मा के पतन का कारण बानते हैं। दुर्गुण रूप अनेक या एक ही छिद्र आत्मा के सहज गुणों को नष्ट करके उसे पति बना देता है। मनुष्य - मनुष्य का आपस में झगड़ा होता किन्तु एक की गाय या पाला हुआ कुत्ता को तो वह व्यक्ति लाठी लेकर उन मूक जान्गारों उन्हे द्वेषपूर्ण निगाहों से देखता है। तो बन्धुओ, आप समझ ही गये होंगे कि राग-द्वेष आदि सभी दोष आत्मा को कर्म भार से बोझिल बनाते हैं। इनकी करामातों के विषय में क्या कहा जाय ? अर्थात् पड़ौसी पड़ौसी लड़ पड़ते हैं अगर दूसरे के दरवाजे पर आ जाए को बुरी तरह से मारता है तथा अब ऐसे व्यक्तियों से पूछो कि उन जानवरों से तुम्हारा द्वेष क्यों ? उन बेचारों पर तुम्हारा क्रोध क्यों ? तुम क्यों भूल जाते हो कि सीधे-सादे सन्त कबीर की संसार के समस्त प्राणियों के प्रति कैसी भावका थी। वे कहते थे :--
SR No.091002
Book TitleAnand Pravachana Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandrushi
PublisherRatna Jain Pustakalaya
Publication Year1994
Total Pages346
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size7 MB
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