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आनन्द प्रवचन : भाग १
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अब पद्म का अन्तिम चरण आपके सामने आता है :
रक्षा बन्धन को यो मतलब, सारो साझो भाई रे । चौथमल ने राणाजी को, रक्षा सुनाई।।। रक्षा आई रे ।।
इस कविता के रचयिता प्रसिध्द वक्ता श्री चौथमलजी महाराज हैं। आपने जिस प्रसंग पर इसका निर्माण किया था वह अपनी कविता में बता दिया है। कहा
है 'यह रक्षा बन्धन का दिवस प्रेरणा देता है, यह सब मैंने राणाजी को सुना दिया है। '
बन्धुओ ! आशा है, आप भी 'रक्षा बन्धन' के इस दिन का महत्व भली-भाँति समझ गये होंगे कि यह दिन केवल बहनों वत भाई को राखी बाँधना और बदले में भाई का बहन को रूपया पैसा या वस्त्र और आभूषण दे देना ही नहीं बताता । यह दिवस स्व और पर की तथा धर्म और धर्मों की रक्षा करने की प्रेरणा भी देता है। और इस प्रकार आत्मोन्नति का साधा बनकर जीवन के लिए वरदान रूप साबित होता है।
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