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________________ • [१९०] भावना और भक्ति जायेगी जिन्दगानी, आखिर जायेगी जिन्दगानी। चन्दा भी जायेगा सूरज भी जायेगा, जायेगा पवन और पानी। दासकबीरा की भक्ति न जायेगी, ज्योति में ज्योति मिलानी। आखिर ॥१॥ कबीर स्पष्ट कह रहे हैं - यह जिन्दगी जाने वाली है। इसकी कितनी भी हिफाजत की जाय, कितना भी संक्षण किया जाय फिर भी एक दिन इसे जाना है। आप राजस्थानी भाषा में बोलते ई - 'ओ कीरो जायो है?' जायो अर्थात् जाने वाला सदा रहने वाला नहीं। पुष्प खेला है, उसे मुरझाना पड़ेगा। सूर्य उदित हुआ है उसे अस्त होना पड़ेगा। जिस चन्द्रमा को हम प्रतिदिन चाँदनी बिखेरते हुए देखते हैं, एक दिन उसे भी आयुष्य पूर्ण होने पर नीचे आना पड़ेगा। इसीलिये कबीर ने कहा है - सूरज भी जायेगा, चन्दा भी जाएगा। आपके दिल में यहाँ सन्देह प्रकता होगा कि सूर्य और चन्द्रमा कैसे जायेंगे? और अगर चले जाएँगे तो फिर जगत में अन्धकार नहीं हो जाएगा क्या? पर ऐसा नहीं हैं। ये सूर्य और चन्द्र चले भी गए तो क्या? दूसरे भी करनी कर रहे हैं, वे इनके स्थान को ग्रहण कर लेंगे। आप इतिहास पढ़ने वाले हैं। जानते ही होंगे कि कुछ समय पहले मुगलों का राज्य था, फिर पेशवाओं का हो गया। पेशवाओं का गया तो अंग्रेजों का हुआ और अंग्रेजों का गया तो अब काँग्रेस का हो गया। राजा चले गये पर राज्य सूना नहीं रहा। इसी प्रकार सूर्य व चन्द्र को जाएँगे तो उनके स्थान पर दूसरे आ जाएँगे। पद्य में आगे कहा है - "जाएगा पवन और पानी। किन्तु 'दास कबीर की भक्ति न जाएगी, ज्योति में ज्योति मिलानो।' अर्थात् - पवन आता है और कला जाता है। वह आया है और जायेगा। पानी भी आता है और बहता चला जला है। वह भी स्थिर नहीं रहता। संक्षेप में संसार के समस्त पदार्थ चंचल हैं, अस्थिर हैं नष्ट हो जाने वाले हैं। किन्तु कबीर की भक्ति कभी जाने वाली नहीं है। भक्ति ऐसी चीज है जिसका कभी नाश नहीं होता। वह साथ में जाने वाली नहीं है। कहाँ तक जाने वाली है? जब तक ज्योति में ज्योति नहीं मिल जाती, अर्थात् आत्मा, परमात्मा नहीं बन जाती। दूसरे शब्दों में समस्त कर्मों का जब तक । क्षय नहीं हो जाता। एक मुसलमान कवि ने भी कहा है कि अगर तुझे परमात्मा से मिलने का शौक है तो हरवत उससे लौ लगा -
SR No.091002
Book TitleAnand Pravachana Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandrushi
PublisherRatna Jain Pustakalaya
Publication Year1994
Total Pages346
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size7 MB
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