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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir [ ७७६ ] देवदत्त ने शिला फेंकी थी। यहीं, जीवक वन में, अजातशत्रु तथा उसके प्रधानमन्त्री वर्षकार ने स्वयं भगवान् की सेवा में उपस्थित हो, 'पाटलिपुत्र' की स्थापना-योजना बनाई थी। ( चुल्लवग्ग ) गुप्तकाशी (उड़ीसा में ) भुवनेश्वर । (कुमाऊँ में ) शोणितपुर ( हरिवंश ) | गोकर्ण - ( उत्तर गो०) गंगोत्तरी से ८ मील दूर, भगीरथ का 'तपोवन' । ( दक्षिण गो० ) करवाल में गेंडिया तीर्थ । गोकुल - कृष्ण के बाल्यकाल की क्रीड़ाभूमि - ब्रज गोकुल मथुरा से ६ मील पर है । गो (गौतमी - गोदावरी । ( शिव० ) गोनर्द ( द ) - पंजाब, क्योंकि काश्मीर के राजा गोनर्द ने इसे जीत लिया था । एक 'गोनर्द ' अवध में भी है, (गोंडा ), जहाँ महाभाष्यकार पतंजलि ने जन्म ग्रहण किया था । गोपकवन - आधु० गोआ । ( विक्रमांकदेवचरित ) | गोपाद्रि - १. रोहतास ( पर्वत ) । २. काश्मीर में 'तख्ते सुलेमान', जिसे शास्त्रों में 'शङ्कराचार्य' पर्वत भी कहा गया है । ३. ग्वालियर । ( राजतरंगिणी ) गोवर्धन - वृन्दावन से १८ मील दूर, वही पर्वत जिसे ( 'पैथो' ग्राम में) बाल कृष्ण ने अपनी उंगली पर उठा लिया था । गौड़ - ( मगध साम्राज्य से मुक्त हुए ) बंगाल की प्रतिष्ठा ( ७वीं सदी में ) इस नाम से हुई थी। यह अंग देश के दक्षिण में था । ( हर्ष० ) गोमती, चर्मण्वती (दे० 'रन्तिपुर ) । गोमल । घर्घरा- - घग्गर नदी, जो कुमाऊँ से निकल कर सरयू में आ मिलती है । ( पद्म० ) चक्षु -- वक्षु ( इक्षु ) और आमू नामक नदी जो महाभारत, रघुवंश तथा चन्द्र के महरौली अभिलेख के अनुसार 'शाकद्वीप' में बहती थी । चन्दनगिरि, मलयगिरि- - मालाबार घाट । ( त्रिकाण्ड० ) चन्दना - साबरमती । चन्द्रभागा -- चनाब ( चन्द्रिका), जिसकी एक शाखा असिक्नी थी । चम्पा - श्यामाद्वीप (ह्यून्सांग ) । २. अंग तथा मगध के बीच रहनेवाली चम्पा नदी (पद्म० ) । ३. चम्ब । रियासत ( राजतरंगिणी ) । ४. अंग देश की राजधानी ( जिसका पुराना नाम ' मालिनी' था ) । चम्पारण्य - ( मध्य भारत में ) राजिम के पाँच मील उत्तर में, जैनों का एक तीर्थ (जैमिनि भारत ) । २. पटना डिवीज़न में 'चम्पारन' । ( शक्तिसंग्रह तन्त्र ) चरणादि - (मिर्जापुर में ) चुनार का प्रसिद्ध अजेय दुर्ग, जिसे बंगाल के पाल राजाओं ने ८- १२वीं सदियों में बनवाया था । चरित्रपुर - ( उड़ीसा में ) पुरी का तीर्थ, तीर्थपुरी । चर्मवती - 'रन्तिपुर' गोमती नदी । चिताभूमि - सन्थाल परगना में, वैद्यनाथ अथवा देवघर, जहाँ १२ ज्योतिर्लिंगों में एक ( रावण द्वारा स्थापित ) है | चित्रकूट - बुन्देलखण्ड में पयस्विनी मन्दाकिनी के तट पर वह पर्वत- तीर्थ, जहाँ भगवान् रामचन्द्र ने अपने प्रवास की कुछ आद्यावधि बिताई थी । चिदम्बरम्, चित्तम्बलम् - दक्षिण में शिव की पाँच भौतिक मूर्तियों में 'आकाश तत्त्व' क प्रतिष्ठा स्थान | ( देवी भाग० ) । चेदि - 'काली - सिन्धु' तथा तोंस के मध्यगत, बुन्देलखण्ड तथा मध्यप्रान्त का कुछ भाग, जो कभी 'शिशुपाल' की राजधानी था। For Private And Personal Use Only
SR No.091001
Book TitleAdarsha Hindi Sanskrit kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamsarup
PublisherChaukhamba Vidyabhavan
Publication Year1979
Total Pages831
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size15 MB
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