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________________ "कौन-सी ख़बर?" "देखिए, यह क्या है ?" तभी उनके समक्ष एक कुत्ता आ पहुंचा। गोसाई ने कहा, "अरे, यह तो बानेश्वर राजा का कुत्ता है। क्या हुआ है इसे ?" भिभि ने अपनी झोली में से टॉर्च निकालकर जलायी और कुत्ते को देखते हुए आहिस्ता से बोले, "कुछ समझ रहे हैं, यह क्यों आया है ?" आहिना ने गौर किया कि कुत्ता काँप रहा है। उसकी अगली टाँग देखकर बोला वह : "देखिये, यहाँ किसी चीज़ की खरोंच है, हे कृष्ण !" भिभिराम ने भी देखा-"निश्चय ही यह संगीन की खरोंच है। अब आपके मायड में भी अत्याचार शुरू हो गये हैं । कुत्ते को आया देखा मुझे अनुमान हो रहा है कि इधर गाँव से भी कोई आदमी आया है।" कुत्ता काँपते-थरथराते हुए ज़मीन पर गिर पड़ा। आहिना के मुख से आह निकल गयी: __ "अब इसकी आयु पूरी हो गयी, हे कृष्ण ! मुझे भी यही लगता है, कोई आया है।" "आयेगा क्यों?" कहते हुए गोसाई ने भिभिराम को टॉर्च पकड़ाकर अपनी झोली से आयोडीन की शीशी निकाली और थोड़ी-सी कुत्ते के घाव पर लगा दी। वह काय-काय कर उठा। उन्होंने कहा, "यह भाग आया होगा। तुम लोग थोड़ी देर रुको। मैं आगे बढ़कर देखता हूँ। डिमि चाय ले आयेगी। तब तक तुम लोग चाय लो। धनपुर आदि आयें तो देर नहीं करने को कहना । मैं कुत्ते को लिये जाता हूँ।" भिभिराम बोला, “अकेले जाना क्या ठीक रहेगा? हम जिस रास्ते से आये थे, कुत्ता भी उधर से ही आया है।" ____ "विशेष चिन्ता करने का कोई कारण नहीं है।" गोसाईं ने कहा और कुत्ते को साथ ले रास्ते से ढलान की ओर उतर पड़े। जाते-जाते कहते गये, "तुम लोग मेरी प्रतीक्षा न करना। चाय पीकर चल देना । यहाँ रुकने का समय नहीं है। केवल धनपुर को ठहरने के लिए कह देना।" ___ चाँदनी में बहुत दूर तक गोसाईं और उनके पीछे-पीछे वह कुत्ता–दोनों साथ-साथ जाते हुए दिखाई पड़ते रहे। अपने बोझिल मन को हल्का करने की इच्छा से भिभिराम ने आहिना से पूछा : "अफ़ीम की टिकिया खा लेने के बाद अब आपका मन शायद यहाँ तो होगा नहीं? लगता है, मायङ चला गया है ? आप कुछ समझ रहे हैं या नहीं ?" आहिना को गुस्सा आ गया : मृत्युंजय / 93
SR No.090552
Book TitleMrutyunjaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBirendrakumar Bhattacharya
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages277
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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