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[४] इन परम अध्यात्मरमी योगिराज कृत दो ही ग्रंथ प्राप्त हैं । श्रीयुत पं० आदिनाथ उपाध्याय एम० ए० ने परमात्म शकी विद्वत्तापूर्ण भूमिकामें प्रगट किया है । वही यह भी चर्चा है कि योगेन्द्राचार्यका समय क्या था । स्पष्ट लेख न मिलनेस मान किया गया है कि श्री पूज्यपादके पीछे इनका समय छठी हाब्दी होगा।
पाठकगणोंको उचित है कि एक एक दोहा गाथाका म्यानसे मनन करें | एक एक दोहाका व्याख्यान एक स्वतंत्र लेख रूप ही है, जिसके पढ़ने आत्मज्ञान व आनन्दका लाभ होगा ।
बम्बई, धाचिकाना..
आमरसप्रेमी,
ब. सीतलप्रसाद