SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 90
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ व्रत कथा कोष [ ३१ बृद्धि और तिथिहानि दोनों को महत्व देते हैं; उनका कहना है कि सोलहकारणव्रत नियत अवधिसंज्ञक होने के कारण इसकी दिन संख्या इकतीस ही होनी चाहिये । यदि कभी तिथिहानि हो तो एक दिन पहले और तिथिवृद्धि हो तो एक दिन पश्चात् अर्थात् पूर्णमासी को व्रतारंभ करना चाहिए । इन प्राचार्यों की दृष्टि में प्रतिपदा का महत्व नहीं है । इनका कथन है कि यदि प्रतिपदा को महत्व देते हैं तो उपवास संख्या हीनाधिक हो जाती है, तिथिहानि होने पर सोलह के बदले पंद्रह उपवास करने पडेंगे । तथा तिथिवृद्धि होने पर सोलह के बदले सत्रह उपवास करने पडेंगे । अतः उपवाससंस्था को स्थिर रखने के लिए एक दिन आगे या पहले व्रत करना आवश्यक है । इन आचार्यों ने व्रत की समाप्ति प्रतिपदा को ही मानी है तथा इसी दिन सोलहवाँ अभिषेक पूर्ण करने पर जोर दिया है । कुछ प्राचार्य प्रतिपदा के उपवास के अनन्तर द्वितीया को पारणा तथा तृतीया को पुनः उपवास कर महाभिषेक करने का विधान बताते हैं । बलात्कारगण के प्राचार्य इस विषय पर सभी एकमत हैं कि व्रत की समाप्ति प्रतिपदा को होनी चाहिए। व्रतारंभ करने के दिन के सम्बन्ध में विवाद हैं । कुछ पूर्णिमा से व्रतारंभ करने को कहते हैं । कुछ प्रतिपदा से और कुछ द्वितीया से । उपर्युक्त दोनों ही मतों का समीकरण एवं समन्वय करने पर प्रतीत होता है कि बलात्कारगण, सेनगरण, पुन्नारगरण और कारण रगण के प्राचार्यों ने प्रधान रूप से सोलहकारण व्रत में तिथिह्रास और तिथिवृद्धि को महत्व नहीं दिया है । प्रतएव इस व्रत को सर्वदा भाद्रपद कृष्णा प्रतिपदा से प्रारम्भ तथा आश्विन कृष्णा प्रतिपदा को समाप्त करना चाहिए । इसके प्रारम्भ और समाप्ति दोनों में ही प्रतिपदा का रहना श्रावश्यक माना है । प्रथम अभिषेक भी प्रतिपदा को प्रथम उपवासपूर्वक किया जाता है, पारणा के दिन अभिषेक नहीं किया जाता, अन्तिम सोलहवें उपवास के दिन सोलहवां भिषेक किया जाता है । सत्रहवाँ प्रभिषेक कर द्वितीया को पारणा करने का विधान भी है । मेघमाला व्रत करने की तिथियाँ श्रौर विधि मेघमाला व्रत के पूर्ण अभिषेक के लिए भी प्रतिपदा तिथि ही ग्रहरण की गयी
SR No.090544
Book TitleVrat Katha kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKunthusagar Maharaj
PublisherDigambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
Publication Year
Total Pages808
LanguageHindi
ClassificationDictionary, Ritual_text, Ritual, & Story
File Size21 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy