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ग्रन्थ के संग्रहकर्ता वात्सल्य रत्नाकर, श्रमणरत्न, स्याद्वाद केशरी, जिनागम सिद्धान्त महोदधि, वादिभसूरी
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परम पूज्य श्री १०८ गणधराचार्य कुन्थुसागरजी महाराज