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________________ ७२४ ] व्रत कथा कोष (१) एक उपवास एक पारणा, (२) एक उपवास एक पारणा, (३) दो उपवास एक पारणा, (४) तीन उपवास एक पारणा, (५) चार उपवास एक पारणा, (६) पांच उपवास एक पारणा, (७) चार उपवास एक पारणा, (८) चार उपवास एक पारणा, (६) तीन उपवास एक पारणा, (१०) दो उपवास एक पारणा, (११) एक उपवास एक पारणा। इस प्रकार ४१ दिन में व्रत समाप्त करे, प्रतिदिन त्रिकाल नमस्कार-मन्त्र का जाप्य करे । व्रत पूरा होने पर उद्यापन करे । ज्ञानपच्चीसी और भावना पच्चीसी व्रतों की विधि ज्ञानपञ्चविंशति व्रते एकादश्यामेकादशोपवासा: चतुर्दश्यांचतुर्दशोपवासाः कार्याः भवन्ति । मतान्तरेण दशम्यां दशोपवासाः पूणिमायां पञ्चदशोपवासा कार्याः भावनापञ्चविंशतिव्रते तु प्रतिपदायामेकोपवासः द्वितीयायां द्वौ उपवासो, तृतीयायां त्रय उपवासाः, पञ्चम्यां पञ्चोपवासः, षष्टयां षडुपवासाः, अष्टम्याष्टौ उपवासाः कार्याः भवन्ति । मतान्तरेण दशम्यां दशोपवासाः पञ्चम्यां पञ्चोपवासाः, अष्टम्यामष्टौ उपवासाः प्रतिपदायां द्वौ उपवासौ, कार्याः भवन्ति । एषा सम्यक्त्वपञ्चविंशतिका मूढत्रयं मदाश्चाष्टौ अनायतनानि षट्वासादीनां मासतिथ्यादिनियमः न ग्राह्यः । अर्थ :-ज्ञानपच्चीसी व्रत में एकादशी तिथि के ग्यारह उपवास और चतुर्दशी तिथि के चौदह उपवास किये जाते हैं। मतान्तर से इस व्रत में दशमी के दस उपवास और पूर्णिमा के पन्द्रह उपवास किये जाते हैं। भावना पञ्चीसी व्रत में प्रतिपदा में एक उपवास, द्वितीया तिथि में दो उपवास, तृतीया में तीन उपवास, पञ्चमी तिथि में पांच उपवास, षष्ठी तिथि में छः उपवास और अष्टमी तिथि में आठ उपवास किये जाते हैं । मतान्तर से दशमी तिथि में दस उपवास, पञ्चमी में पांच उपवास, अष्टमो में पाठ उपवास और प्रतिपदा में दो उपवास किये जाते हैं । यह भावना पञ्चीसी व्रत तीन मूढ़ता, आठ मद, छः अनायतन और पाठ शंकादि दोषों को दूर करने के लिए किया जाता है। इसके उपवास करने के लिए तिथि, मास आदि का नियम ग्राह्य नहीं है । अर्थात् यह व्रत किसी भी मास में किसी भी तिथि से प्रारम्भ किया जा सकता है । ज्ञानपञ्चीसी
SR No.090544
Book TitleVrat Katha kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKunthusagar Maharaj
PublisherDigambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
Publication Year
Total Pages808
LanguageHindi
ClassificationDictionary, Ritual_text, Ritual, & Story
File Size21 MB
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