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व्रत कथा कोष
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इधर सुकुमार के बड़ा होने पर उसकी माता ने ३२ कन्याओं से उसकी शादी करवायी। सुकुमार सुख से समय बिताने लगा । एक बार उनके घर के सामने बगीचे में एक अवधिज्ञानो मुनि चातुर्मास के निमित्त रुके । वहां उन्होंने वर्षा योग धारण किया।
__ चातुर्मास पूर्ण होने के दिन प्रातःकाल में वह मुनि त्रिलोक प्रज्ञप्ति का पाठ करने लगे। जब वह पाठ सुकुमार के कानों में पड़ा तो उसको पूर्वभव का स्मरण हो गया । इसलिये वे उसी समय वैराग्य को धारण कर उन मुनिश्वर के पास गये, महाराज ने अवधिज्ञान से सब जान लिया था। इसलिये उससे कहा कि हे भव्य ! अब तेरो प्रायु तोन दिन को बचो है इसलिये तू अपना प्रात्म-कल्याण कर । सुकमार को भी प्राश्चर्य हुा । उन्होंने उसी समय दिगंबरी दीक्षा ली । घोर उपसर्ग सहन कर समाधि से मरण को प्राप्त हुये जिससे वे अच्युत स्वर्ग में देव हुये । वहां वे चिरकाल सुख भोगकर अनुक्रम से मोक्ष जायेंगे।
अथ सुभौम चक्रवति व्रत कथा प्राषाढ़ शु. ७ के दिन एकाशन करे अष्टमी के दिन सुबह शुद्ध कपड़े पहन कर प्रष्ट द्रव्य लेकर मन्दिर जाये । पीठ पर उद्धर भूतकाल के तीर्थंकर की प्रतिमा स्थापना कर पंचामृत अभिषेक करावे। भगवान के सामने एक पाटे पर स्वस्तिक निकालकर उस पर प्रष्ट द्रव्य रखे । निर्वाण से उद्धर तक तीर्थंकरों की पूजा अर्चना करे ।
ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं अहं उद्धर तीर्थ कराय नमः स्वाहा ।
इस मन्त्र का १०८ बार जाप करे प्रारती करे, उस दिन उपवास करे । दूसरे दिन पूजा दान करके पारणा करे । इस प्रकार अष्टमी व चतुर्दशी ८ पूर्ण होने पर उद्यापन करे।
___ उस दिन उद्धर तीर्थ कर का विधान कर महाभिषेक करे । चतुर्विध संघ को दान दे । मन्दिर में बर्तन प्रादि दे।
... कथा इस जम्बूद्वीप के भरत क्षेत्र में आर्य खण्ड है, उसमें काश्मीर नामक देश है, उसमें भूतिलक नामक नगर है। वहां प्राचीन काल में भूपाल नामक राजा राज्य करता था। उसकी स्त्री, पुरोहित, मन्त्री, श्रेष्ठी, सेनापति मादि परिवार था।