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________________ व्रत कथा कोष [ ४४७ कथा __जम्बूद्वीप में कुरुजाङ्गल देश में हस्तिनापुर नामक एक सुन्दर घनधान्य सम्पन्न नगर था। वहां विजयसेन राजा राज्य करता था, उसकी रानी विजयावंती थी। उसके दो लड़कियां मुकुटकेसरी व विधिशेखरी थीं, इन दोनों बहनों का एक-दूसरे पर बहुत ही प्रेम था । वे दोनों एक दूसरे को छोड़कर कहीं नहीं रहती थीं। अतः राजा ने दोनों की शादी अयोध्या के राजपुत्र से कर दी। ___ थोड़े समय के बाद वहां पर बुद्धिसागर और सुबुद्धिसागर नाम के दो चारण मुनि हस्तिनापुर में पाये। विधिपूर्वक राजा ने उनको आहारदान दिया। फिर उनसे पूछा "इन दोनों का एक दूसरे पर इतना प्रेम क्यों है ?" मुनिमहाराज ने कहा "राजन ! पूर्व में इनकी नगरी में एक धनदत्त नामक श्रेष्ठी रहता था, उसकी लड़की जिनमति व एक माली लड़की वनसती ये दोनों जीवश्चकंठ सहेलियां थीं। इन दोनों ने मुकुट सप्तमी का व्रत किया था । एक दिन वह उस उद्यान में खेल रही थीं कि सांप ने काट लिया जिससे उनका मरण हो गया। मरते समय नमस्कार मन्त्र का पाठ किया जिससे वे स्वर्ग में देव हुई । वहां की आयु पूर्ण कर उन्होंने अापके घर जन्म लिया है। पहले से ही उनका एक दूसरे पर प्रेम था। ___ यह कथा उन लड़कियों ने भी सुनी और उन्होंने वह व्रत फिर से लिया। उसको यथाविधि पालन किया जिससे समाधिपूर्वक ,मरण कर १६वें स्वर्ग में देव हुए। स्वर्गीय सुख भोगकर मनुष्य भव लेकर मोक्ष जायेंगे। इसके अलावा जिनमती नामक श्रेष्ठी कन्या ने भी यह व्रत किया । --- मासिक सुगन्धदशमी व्रत मासिकसुगन्धदशमीव्रतं तु पौषशुक्लपञ्चमीमारभ्य दशमी पर्यन्तं भवति हानौ वृद्धौ च स एव मार्गो ज्ञेयः, इत्यादिनी मासिकानि भवन्ति ।। अर्थः-सुगन्ध दशमी व्रत पौष शुक्ला पञ्चमी से दशमी तक किया जाता
SR No.090544
Book TitleVrat Katha kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKunthusagar Maharaj
PublisherDigambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
Publication Year
Total Pages808
LanguageHindi
ClassificationDictionary, Ritual_text, Ritual, & Story
File Size21 MB
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