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व्रत कथा कोष
इस प्रकार व्रत का सर्व कथन व व्रतविधि सुनकर सब को आनन्द हुअा। जयन्धर राजा विनयावति रानी के साथ मुनिराज से व्रत को ग्रहण कर प्रजा सहित नगर में वापस आ गये, कालानुसार उन्होंने व्रत को पालन करके व्रत का उद्यापन किया, आयु के अन्त में समाधिपूर्वक मरकर स्वर्ग को चले गये। वहां की आयु पूर्ण कर मनुष्य भव धारण किया, दीक्षा धारण कर मोक्ष चले गये।
नवनिधि व्रत इस व्रत में पूजा अभिषेक मूलनायक प्रतिमा का करें।
नवनिधि व्रत में २१ उपवास किये जाते हैं। चौदह चतुर्दशियों के चौदह, नौ नवमियों के नौ, तीन तृतीयाओं के तीन एवं पांच पञ्चमियों के पांच उपवास किये जाते हैं। प्रत्येक उपवास के अनन्तर एकाशन करने का विधान है। इस व्रत में "ॐ ह्रीं अक्षयनिधिप्राप्तेभ्यों जिनेन्द्र भ्यो नमः' मन्त्र का जाप किया जाता है।
कथा
बारह चक्रवतियों की कथा पढ़े ।
नैशिक ब्रत नैशिकानि चतुराहारविवर्जनं स्त्रीसेवनविवर्जनं रात्रिभक्ति विवर्जनञ्चेत्यादोनि, खाद्य स्वाद्य लेह्यपेय भेदानि चतुर्विधान्यशनानि त्याज्यानि, चैतत् निशामुक्तिपरित्यागं व्रतं विधीयते । स्त्रीसेवनविवर्जनं च यावज्जीवनं यमः नियमश्चेति मासदिन संख्याभवः कर्तव्यः । रात्रिभक्तवते तु दिवसे स्त्रोसेवनविवर्जनं यमनियमविभागतया करणीयम् भोगोपभोगपरिमारणवते तु ताम्बूल पुष्पमालाशैय्याभूषणवस्त्रादीनां नियमःसदैव निशि कार्यः, एवं नैशिकनियम इत्यादीनि नैशिकानि व्रतानि ।
अर्थ :-नैशिक व्रतों में रात में चारों प्रकार के आहारों का त्याग एवं स्त्री सेवन का त्याग करना होता है। आहार चार प्रकार के होते हैं-खाद्य, स्वाद्य, लेह्य, पेय । जिस भोजन को दांतों से काटकर खाते हैं वह खाद्य, स्वाद्य में सभी प्रकार के सुगन्धित पदार्थों के सूघने का त्याग करना, लेह्य में सभी प्रकार के चाटे जाने वाले पदार्थों का त्याग और पेय में सभी प्रकार के पेय पदार्थों का त्याग किया जाता है ।