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________________ व्रत कथा कोष [ २५३ एक दिन राजमाता ने कहा कि मैं बाहबली जिनदेव के दर्शन किये बिना दूध का सेवन नहीं करूगो, ऐसा नियम मैंने लिया है । तब राजा अपने परिवार व सेना सहित दर्शन करने को निकला । पादनपुर के राज्य मार्ग से निकला। उस दिन रात्रि में राजा को एक स्वप्न पाया । उस स्वप्न में पद्मावती देवी ने उनसे कहा हे चामुण्डराजन् ! तुम अभी दूर देश को मत जानो क्योंकि रास्ते में अनेक भयंकर संकट उपस्थित होंगे । इससे तुम इस टेकरी पर ही निवास करो। इसी टेकरी पर तुझे और तेरी मां को श्री बाहुबलो अर्थात भुजबली के दर्शन होंगे। पर्वत पर रहकर बड़े पर्वत पर तू बाण छोड़ जिससे बाण लगने से एक शिला फट जायेगी जिससे तुझे बाहुबली के दर्शन होंगे ऐसा बोलकर देवी लुप्त हो गई। राजा की नोंद खुली तब प्रातःकाल की क्रिया करके राजदरबार भरा जिसमें उसने रात को देखा हुआ स्वप्न कहा । सबने उस पर बहुत चर्चा की और निश्चय किया कि आज रात को हमको भी ऐसा ही स्वप्न आये। उस दिन रात को सबको ही वैसा ही स्वप्न पाया। जिससे उन्होंने यह बात सत्य है ऐसा सोचा । फिर राजा ने छोटे पर्वत पर रहकर बड़े पर्वत पर बाण छोड़ा, जिससे बाण लगते ही एक शिला निकल पड़ी और वहां पर एक दरवाजा बन गया अर्थात् एक छेद समान बन गया । वहां जाकर देखने पर उन्हें बाहुबली को विशाल मूर्ति दिखाई दी । वह १८ धनुष लम्बी थी । उसे देखते ही सब को बहुत ही खुशी हुई। वह प्रतिमा अखंड और उत्तराभिमुख थी। राजा अपनी माता व परिवार के साथ अन्दर गये और तीन प्रदक्षिणा देकर नमस्कार किया । उसके बाद चामुण्डराय ने नवीन मन्दिर बनवाये और कितने ही पुराने मन्दिरों का जीर्णोद्धार कराया । तब उन्होंने पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव रखा । प्रतिष्ठा करवाते हुये राजा के मन में पाया कि मेरे जैसी कोई पूजा नहीं करवा सकता है । ऐसा अभिमान उसे जागृत हो गया । जब उसने पंचामृत किया तो सिर्फ नाभि तक ही अभिषेक का पानी पाया आगे नहीं । तब उसे चिन्ता होने लगी। उसे अपमान का अनुभव होने लगा। तब अतिवृद्ध बाई अपने हाथ में एक छोटा सा कलश लेकर व अष्ट द्रव्य अर्थात् गुललकाईत लेकर पंचामृत अभिषेक करने गयी तब सब लोग हँसने लगे।
SR No.090544
Book TitleVrat Katha kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKunthusagar Maharaj
PublisherDigambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
Publication Year
Total Pages808
LanguageHindi
ClassificationDictionary, Ritual_text, Ritual, & Story
File Size21 MB
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