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________________ १७४ ] व्रत कथा कोष कि आषाढ़ शुक्ल ११ के दिन एकाशन करे । १२ के दिन उपवास करे । पूजा आदि पहले के समान करे । ४ दम्पतियों को भोजन कराये । वस्त्र प्रादि दान करे । १०८ कमल पुष्प १०८ आम चढ़ावे, १०८ चैत्यालय की वन्दना करे । कथा पहले रजतपुर नगरी में राजशेखर राजा राजमती महारानी के साथ रहता था। उसका पुत्र रजतसेन, उसकी स्त्री रजतलोचनी और मन्त्री, श्रेष्ठी पुरोहित पूरा परिवार सुख से रहता था। एक बार उन्होंने रजतसागर महामुनि से अयोगकेवली व्रत लिया। उसको विधि पूर्वक पालन किया। सर्वसुखों को प्राप्त किया। अनुक्रम से मोक्ष गए। अप्रमत्तगुरणस्थान व्रत कथा व्रत विधि :-पहले के समान सब विधि करे । अन्तर केवल इतना है कि प्राषाढ़ शुक्ल ४ के दिन एकाशन करे, ५ के दिन उपवास करे, पूजा आदि पहले के समान करे, सात दम्पतियों को भोजन कराये, वस्त्र आदि दान करे । कथा __पहले कश्मीर नगरी में कामसेन राजा कामसुन्दरी महारानी के साथ रहता था। उसका पुत्र कामदमन, उसकी पत्नी कामदेवी, कामशरहर प्रधान, उसकी स्त्री कामरूपिणी, कामसुकीर्ति पुरोहित, उसकी स्त्री कामक्रीडा, कामसागर पूरा परिवार सुख से रहता था। एक दिन उन्होंने कामविजय मुनि से अप्रमत्त गुणस्थान व्रत लिया, उसका यथाविधि पालन किया । सर्वसुखों को प्राप्त किया । अनुक्रम से मोक्ष गये । अपूर्वकरणगुणस्थान व्रत कथा व्रत विधि :-पहले के समान सब विधि करे । अन्तर केवल इतना है कि आषाढ़ शुक्ला ५ के दिन एकाशन करे, ६ के दिन उपवास करे । पूजा आदि पहले के समान करे । ८ दम्पतियों को भोजन करावे, वस्त्र आदि दान करे । १०८ बार कमल पुष्पों से जाप करे, त्यालय की वंदना करें।
SR No.090544
Book TitleVrat Katha kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKunthusagar Maharaj
PublisherDigambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
Publication Year
Total Pages808
LanguageHindi
ClassificationDictionary, Ritual_text, Ritual, & Story
File Size21 MB
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