________________
ब्रत कथा कोष
[
मंगल, गुरु और शनि सूर्य से अल्प गतिवाले हैं, मतः अस्त होने पर सूर्य ही इनसे आगे निकल जाता है । बुध सूर्य से तेज गति वाला है, अतः यह अस्त होने पर सूर्य से श्रागे निकल जाता है । यद्यपि मध्यम रवि, शुक्र और बुध तुल्य ही होते हैं । फिर भी स्पष्ट रवि और स्पष्ट बुध शीघ्र फलान्तर के तुल्य आगे-पीछे रहते हैं । जब दोनों एकत्रित हो जाते हैं, तो बुध ग्रस्त माना जाता है । बुध के पूर्व दिशा में प्रस्त होने के बाद ३२ दिन में पश्चिम में उदय, पश्चिमोदय से ३२ दिन में वक्री, वक्र होने से ३ दिन में पश्चिम में अस्त, ग्रस्त से १६ दिन में पूर्व दिशा में उदय, उदय से ३ दिन में मार्ग, मार्ग से ३२ दिन में पूर्व में ही प्रस्त होता है। शुक्र का पूर्वास्त से २ मास में पश्चिमोदय, उसके बाद ८ मास में वक्र, वक्र से २२ / ३० दिन में पश्चिम में अस्त, अस्त से साढे सात दिन में पूर्व दिशा में उदय, उदय से पौन मास में मार्ग, मार्ग से ८ महिने में फिर पूर्व में अस्त होता है ।
मंगल का प्रस्त के बाद ४ मास में उदय, उदय से १० मास में वक्र, वक्र से २ मास में मार्ग, मार्ग से १० मास में फिर अस्त होता है । बृहस्पति का प्रस्त से १ मास में उदय, उदय से सवा चार मास में वक्र, वक्र से ४ मास में मार्ग, मार्ग से सवा चार मास में अस्त होता है। शनि के प्रस्त से सवा मास में उदय, उदय से साढ़े तीन मास में वक्र, वक्र से साढ़ े चार मास में मार्ग, मार्ग से साढ़े तीन मास में फिर प्रस्त होता है । इस प्रकार उदय अस्त की परिपाटी चलती रहती है । आचार्य ने बताया है कि शुक्र और गुरू अस्त होने पर उद्यापन और व्रत ग्रहण करना वर्ज्य दशलक्षण, षोडशकारण, रत्नत्रय, मेरूपंक्ति, एकावली, द्विकावली, मुक्तावली आदि व्रतों के ग्रहण करने के लिए यह आवश्यक है कि गुरू और शुक्र उदित अवस्था में रहें । इनके अस्त रहने पर शुभ कृत्य करना वर्जित है ।
1
गुरू और शुक्र के अस्त होने पर प्रतिष्ठा, मन्दिर निर्माण, विधान, विवाह, यज्ञोपवीत यादि कार्य भी नहीं किये जाते हैं । गणित से शुक्रास्त और गुरू अस्त का प्रमाण केन्द्रांश बनाकर निकाला आता है । इन दोनों ग्रहों के प्रस्त होने पर शुभ कृत्य वर्ज्य माने गये I आरम्भसिद्धिसूरी नामक ग्रन्थ में उदयप्रभसूरी ने शुक्र और गुरु के उदय होने पर भी उनका बाल्यकाल माना है । इस बाल्यकाल में भी शुभ कृत्यों के करने का निषेध किया गया है । प्रस्त होने के पूर्व इनको वृद्धावस्था का काल भी