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________________ २२६ विमल ज्ञान प्रबोधिनी टीका किया हो, कराया हो या करते हुए की अनुमोदना की हो तो हे भगवन् ! व्रत संबंधी मेरे दोष / पाप मिथ्या हो । पडिक्कमामि भंते! राइ भत्तपडिमाए: - णवविह-बंधचरियस्स दिवा जो मए देवसिओ (राइयो ) अइचारो, मणसा, वचसा, कारण, कदो वा, कारिदो वा, कीरंतो वा समणुमण्णिदो तस्स मिच्छा मे दुक्कडं । । ६॥ हे भगवन् ! मैं रात्रिभुक्ति नामक षष्ठम / छठी प्रतिमा लगे दोषों का प्रतिक्रमण करता हूँ । रात्रिभुक्ति त्याग प्रतिमा व्रत में दिन में नव प्रकार के ब्रह्मचर्य में मेरे द्वारा अतिचार मन से, वचन से, काय से किया गया हो, कराया गया हो अथवा करते हुए की अनुमोदना की गई हो तो रात्रि-भुक्ति त्याग या दिवामैथुन त्याग प्रतिमा संबंधी मेरे पाप मिथ्या हो । पडिक्कमामि भंते! बंभपडिभाए: --- इत्थि कहायत्तणेण वा, इत्थिमणोहरांगनिरिक्खिणेण वा, पुष्वरयाणुस्सरणेण वा, कामकोवणरसासेवणेण वा, शरीर-मंडणेण वा, जो मए देवसिओ ( राइयो ) अड़चारो, मणसा, वचसा, कारण, कदो वा, कारिदो वा, कीरंतो वा समणुमणिदो, तस्स मिच्छा मे दुक्कडं । । ७ ।। - हे भगवन् ! ब्रह्मचर्य प्रतिमा के पालन में लगे दोषों का मैं प्रतिक्रमण करता हूँ । ब्रह्मचर्य प्रतिमा व्रत में स्त्रियों में राग बढ़ाने वाली कथाओं को कहा हो, स्त्रियों के मनोहर अंगों का निरीक्षण किया हो, पूर्व में भोगे हुए भोगों का स्मरण किया हो या कामोत्पादक गरिष्ठ रसों का सेवन किया हो या शरीर का शृंगार किया हो इस प्रकार मेरे द्वारा दिन या रात्रि में जो भी अतिचार मन से, वचन से, काय से किया हो, करवाया या करते हुए की अनुमोदना की हो तो ब्रह्मचर्य प्रतिमा के व्रतसंबंधी मेरे दोष / पाप मिथ्या हों । पडिक्कमामि भंते! आरंभविरदिपडिमाएः – कसायवसंगएण वा, जो मए देवसिओ (राइयो ) आरम्भो, मणसा, वसा, कारण, कदो वा, कारिदो वा, कीरंतो वा, समणुमणिदो, तस्स मिच्छा मे दुक्कडं ||८|| हे भगवन् ! आरंभत्याग नामक आठवी प्रतिमा के व्रत पालन में लगे दोषों का मैं प्रतिक्रमण करता हूँ | आरंभत्याग प्रतिमा में कषाय के वश से
SR No.090537
Book TitleVimal Bhakti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSyadvatvati Mata
PublisherBharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad
Publication Year
Total Pages444
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Devotion
File Size8 MB
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