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________________ १८१ विमल ज्ञान प्रबोधिनी टीका अतिक्रम ( वदिक्कमो ) व्यतिक्रम ( अइचारो) अतिचार ( अणाचारो) अनाचार ( आभागो) आभोग ( अशाभोगो ) अन्यभोग हुआ हो । भंते ! ) हे भगवन् ! ( तस्स ) तत्संबंधी ( अइचारं पडिक्कमामि ) अतिचार का मैं प्रतिक्रमण करता हूँ ( पडिक्कंतं ) व्रतों का उल्लंघन ( कदो वा ) किया हो या ( कारिदो वा )कराया हो या ( समणमणिदं )अच्छी तरह अनमोदना की हो ( भंते ! ) हे भगवन् ( तस्स ) तत्संबंधी ( अइचारं पडिक्कमामि ) अतिचार का मैं प्रतिक्रमण करता हूँ ( जिंदामि ) निन्दा करता हूँ ( गरहामि ) गर्दा करता हूँ ( अप्पाणं वोस्सरामि ) आत्मा से/अन्तरंग से उनका त्याग करता हूँ ( जाव अरहताणं भयवंताणं ) जितने अरहंत भगवन्त हैं उनको ( णमोक्कारं करेमि ) नमस्कार करता हूँ ( पज्जुवासं करेमि) पर्युपासना करता हूँ ( ताव कालं ) उतने काल पर्यन्त ( पावकम्म-दुच्चरियं वोस्सरामि ) पापकर्म, दुश्चरित्र का त्याग करता हूँ। ____ भावार्थ अब प्रतिपदा, द्वितीया, तृतीया, चतुर्थी, पंचमी, षष्ठी, सप्तमी, अष्टमी, नवमी, दशमी, एकादशी, द्वादशी, त्रयोदशी, चतुर्दशी, पूर्णमासी, पन्द्रह दिनों में, पन्द्रह रात्रि में, छह मास में, आठ पक्ष में, एक सौ बीस दिनों में, एक सौ बीस रात्रियों में, बारह माह में, चौबीस पक्ष में, तीन सौ छ्यासठ दिनों में, तीन सौ छ्यासठ रात्रियों में, पाँच वर्ष से परे अर्थात् आगे या पाँच वर्ष के भीतर दोनों प्रकार आत-रौद्र परिणाम, मायामिथ्या-निदान रूप तीन प्रकार के अप्रशस्त संक्लेश परिणाम, मन-वचनकाय तीन दण्ड, तीन लेश्या कृष्ण-नील-कापोत, तीन गुप्ति, तीन गारव, तीन शल्य, चार संज्ञा आहार, भय, मैथुन व परिग्रह, चार कषाय, चार उपसर्ग, पाँच महाव्रत, पाँच इन्द्रिय, पाँच समिति, पाँच प्रकार का चारित्र, छह आवश्यक, सात भय, सात प्रकार संसार, आठ मद, आठ शुद्धि, आठ कर्म, आठ प्रवचनमातृका, नव ब्रह्मचर्य गुप्ति, नौ नोकषाय, दस प्रकार मुण्ड, दसविध श्रमणधर्म, दसविध धर्मध्यान, बारहविध संयम, बारह तप, बारह अंग, तेरह क्रिया, चौदह पूर्व, पन्द्रह प्रमाद, सोलह कषाय, पच्चीस क्रियाओं में, पच्चीस मावनाओं में, बावीस परीषहों में, अठारह हजार शीलों में, चौरासी लाख मूलगुणों में, उत्तरगुणों में अतिक्रम, व्यतिक्रम, अतिचार, अनाचार, आभोग अर्थात् पूजासत्कार की भावना से
SR No.090537
Book TitleVimal Bhakti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSyadvatvati Mata
PublisherBharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad
Publication Year
Total Pages444
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Devotion
File Size8 MB
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