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________________ विमल ज्ञान प्रबोधिनी टीका वा ) मान से या ( मायाए वा ) माया से या ( लोहेण वा ) लोभ से या ( रागेण वा ) राग से या ( दोसेण वा ) द्वेष से या ( मोहेण वा ) मोह से या ( हस्सेण वा ) हास्य से या ( भएण वा ) भय से या ( पदोसेण वा ) प्रद्वेष से या ( पमादेण वा ) प्रमाद से या ( पिम्मेण वा ) प्रेम से या ( पिवासेण वा) पिपासा से या ( लज्जण वा ) लज्जा से या ( गारवेण वा ) गारव से या ( अनादरेण वा ) अनादर से या ( केण वि कारणेण जादेण वा ) अन्य भी किसी कारण के उत्पन्न होने पर ( णेब सयं मोसं भासेज्ज ) न ही स्वयं मिथ्या बोले ( णो अण्णेहिं मोसं भासाविज ) न ही अन्य जीवों से असत्य बुलवावें और ( णो अण्णेहिं मोसं भासिज्जत वि समणुमणिज्ज) न ही अन्य असत्य बोलने वालों की अनुमोदना ही करें । (भंते !) हे भगवन् ! ( तस्स ) इस द्वितीय सत्य महाव्रत में लगे ( अहिचारं ) अतिचारों का ( पडिक्कमामि ) मैं प्रतिक्रमण करता हूँ ( जिंदामि ) निंदा करता हूँ ( गरहामि ) गर्दा करता हूँ, ( अप्पाणं वोस्सरामि ) आत्मा से उनका त्याग करता हूँ। भावार्थ—हे भगवन् ! प्रथम महाव्रत से भिन्न द्वितीय असत्यभाषण त्याग महाव्रत में सभी स्थूल व सूक्ष्म असत्यवचन का जीवनपर्यन्त को मन-वचन-काय से त्याग करता हूँ। सत्य महानत में अतिचार या दोष उत्पन्न करने वाले क्रोध से, मान से, माया से, लोभ से, राग से, द्वेष से, मोह से, हास्य से, भय से, प्रद्वेष से, प्रमाद से, प्रेम से, पिपासा से, लज्जा से, गारव से, अनादर से अथवा अन्य भी किसी कारण के उत्पन्न होने पर स्वयं असत्य भाषण न करे, न अन्य/दूसरों से असत्य बुलवाये और न असत्य बोलने वाले दूसरों की अनुमोदना ही करें। हे भगवन ! इस द्वितीय सत्यमहाव्रत सम्बन्धी अतिचार की विशुद्धि या दोषों को दूर करने के लिये प्रतिक्रमण करता हूँ । स्वसाक्षी पूर्वक अपने दोषों की निन्दा करता हूँ, गुरु की साक्षीपूर्वक अपनी गर्दा करता हूँ, हे भगवन् पूर्वकाल में उपार्जित अतिचारों का त्याग करता हूँ। मेरे द्वारा जो भी राग के, द्वेष के या मोह के वश में स्वयं असत्य भाषण किया है, दूसरों से असत्य भाषण कराया है और असत्य भाषण करने वालों की भी अनुमोदना की है उस सब का मैं परित्याग करता हूँ।
SR No.090537
Book TitleVimal Bhakti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSyadvatvati Mata
PublisherBharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad
Publication Year
Total Pages444
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Devotion
File Size8 MB
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