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________________ विमल ज्ञान प्रबोधिनी टीका १५१ ( सव्वादिचारस्स ) समी अतिचार का ( उत्तमट्टस्स ) उत्तमार्थ का प्रतिक्रमण करता हूँ ( च ) और ( सम्मचरित्तं रोचेमि ) सम्यग्चारित्र की रुचि/श्रद्धा करता हूँ। ( महत्थे ) महार्थ ( महागुणे ) महान् गुणों में ( महाणुभावे ) महानुभाव ( महाजसे ) महायश ( महापुरिसाणु-चिपणे ) महापुरुषानुचिह्न ऐसे ( पढमेमहब्बदे ) प्रथम अहिंसा महाव्रत में ( पाणादिवादादो वेरमणं ) प्राणातिपात विरति लक्षण में ( उवट्ठावण मंडले ) व्रत-आरोपण होने पर मैं श्रमण होता हूँ । ( अरहंत-सक्खियं) अरहंत साक्षिक ( सिद्ध सक्खियं ) सिद्ध साक्षिक ( साहु-सविरमा : राधु साक्षिक ( अप सत्रितयं ) आत्मा साक्षिक ( परसक्खियं ) पर साक्षिक ( देवता-सक्खियं ) देवता साक्षिक ( उत्तमट्टशि ) उत्तमार्थ के लिये धारण किया गया ( इंद मे महव्वदं यह मेरा अहिंसा) महाव्रत ( सुव्वदं ) सुव्रत हो ( दिढव्यदं होदु ) दृढव्रत हो ( णित्थारयं पारयं तारयं ) संसारसमुद्र से निस्तारक, पार करने वाला, तारने वाला हो ( आराहियं ) आराधित यह व्रत ( चावि ते मे भवतु ) मेरे और शिष्य गणों के लिये संसार का तारक हो।। भावार्थ—हे भगवन् ! प्रथम अहिंसा महाव्रत में मैं सूक्ष्म-स्थूल सभी प्रकार जीवों के प्राणातिपात का त्याग करता हूँ । जीवनपर्यन्त मन-वचनकाय से त्रिधा प्रकार से एकेन्द्रिय, द्विइन्द्रिय, तीन इन्द्रिय, चार इन्द्रिय, पञ्चेन्द्रिय, पृथ्वीकायिक, जलकायिक, तेजकायिक, वायुकाधिक, वनस्पतिकायिक, वसकायिक, अण्डज, पोतज, जरायुज, रसायिक, संस्वेदिम, सम्मूर्छिम, उद्भेदिम और उपपादिम, उस, स्थावर, बादर, सूक्ष्म, प्राण, भूत, जीव, सत्त्व, पर्याप्त, अपर्याप्त चौरासी लाख योनि के प्रमुख जीवों का प्राणों का मैं स्वयं धात नहीं करता हूँ, अन्य जीवों से भी इनका धात नहीं कराता हूँ और प्राणों का घात करने वाले अन्य किसी की मैं अनुमोदना भी नहीं करता हूँ। अर्थात् मैं मन-वचन-काय, कृत, कारित अनुमोदना से चौरासी लाख योनियों के जीवों के घात का त्याग करता हूँ। हे भगवन् ! मैं उस अहिंसा महाव्रत में लगे अतीचारों का प्रतिक्रमण करता हूँ। अपनी निन्दा करता हूँ, गर्दा करता हूँ। हे भगवन् ! अतीत काल में व्रतों में उपार्जित अतीचारों का मैं त्याग करता हूँ।
SR No.090537
Book TitleVimal Bhakti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSyadvatvati Mata
PublisherBharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad
Publication Year
Total Pages444
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Devotion
File Size8 MB
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