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________________ . विमल ज्ञान प्रबोधिनी टीका १०९ अन्वयार्थ -- ( अहावरे ) अब (छडे ) षष्ठम ( अणुव्वदे ) अणुव्रत में (राइभोयणादो वेरमणं ) रात्रि से विरक्ति है। इस रात्रि भोजन त्याग अणुव्रत में प्राणातिपात हिंसा आदि के समान पूर्णरूप से विरति का अभाव है। यहाँ रात्रि में ही भोजन से निवृत्ति है, दिन में नहीं, यथाकाल भोजन में प्रवृत्ति संभव होने इसे रात्रि भोजन त्याग अणुव्रत कहते हैं ( से) जिस आहार की अपेक्षा रात्रि में भोजन का त्याग का होता वह ( चउत्रिहो ) चार प्रकार का ( आहारी) आहार है। ( असणं ) भात, दाल आदि अन्न अशन है (पाणं) दूध, छाछ आदि पान है ( खाइथं ) खाद्य-लड्डू आदि (च ) और ( साइयं ) स्वाद्य - रुचि उत्पादक सुपारी, इलायची ( इदि ) इस प्रकार । ( से ) वह चार प्रकार का आहार ( तित्तो वा ) चरपरा आहार या ( कडुओ वा ) कड़वा आहार या ( कसाइलो वा ) कषैला आहार या ( अमिला वा ) खट्टा आहार या ( महुरो वा ) मधुर आहार या ( लवणो वा ) लवण या क्षार आहार या ( अलवणो वा ) अलवण रूप होता है अथवा ( दुन्चितिओ ) वह चार प्रकार का आहार खाने-पीने योग्य नहीं होने पर भी खाने-पीने योग्य है ऐसा अशुभ चिंतन किया हो ( दुब्भासिओ) अयोग्य आहार को भी यह खाने योग्य हैं, इसे खावें ऐसा कहा गया हो ( दुष्परिणामिओ) अयोग्य आहार को मन के द्वारा ग्रहण करने की स्वीकारता दी हो ( दुस्समिणिओ ) स्वप्न में खाया हो ( रतीए भुत्तो ) रात्रि में खाया हो ( भुजावियो ) दूसरों को खिलाया हो ( वा ) अथवा ( भुंज्जिज्जतो ) अन्य रात्रि में खाने वालों की ( समणुमणिदो ) सम्यक् प्रकार से अनुमोदना की हो ( तस्स ) इस प्रकार उस रात्रिभोजन त्याग सम्बंधी ( मे ) मेरे (दुक्कडं ) दुष्कृत / पाप (मिच्छा ) मिथ्या हों । पाँच समिति के अन्तर्गत ईर्या समिति सम्बन्धी दोषों की आलोचना पंचसमिदीओ, इरियासमिदी, भासासमिदी, एसणासमिदी, आदाणणिक्खेवण समिदी, उच्चार पस्सवण खेल सिंहाणय- विथडि पट्ठावणसमिदी चेदि । - - - तत्य इरियासमिदी पुव्युत्तर दक्खिण पच्छिम चउदिसि, विदिसासु, विहर-माणेण, जुगंतर- दिट्टिणा, भव्वेण दठ्ठव्वा । डव डव-चरियाए, पमाद -
SR No.090537
Book TitleVimal Bhakti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSyadvatvati Mata
PublisherBharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad
Publication Year
Total Pages444
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Devotion
File Size8 MB
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