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CSDSRIDDIDIVISI015 विधानुशासन PADDISTRISSISTOISTOISI
पथ्या छात्री पित्रक विडग लोहासिनः कमात्ः
वृद्धा चूर्णः भूता लीढां स्तैलने जरा नणं हन्यः ॥१६८॥ पथ्या (हरडे) छात्री (आँवला) चित्रक बाय विंडग लोह (अगर) असन विजय सार) के चूर्ण को क्रम से बढाकर तेल के साथ चाटने से पुरुषों की वृद्धावस्था नष्ट हो जाती है।
यष्टि त्वकांडवबुरिवता विडंग सर्पिवंचा मागधीका तिरीटै:
व्यस्तै स्समस्तैरथवोपयुक्ता वराजरारोग विनासनीस्यात ॥ १६९ ॥ यष्टि (मुलहठी) की त्वक (छाल) का स्वरस सिता (मिस्त्री) वायविडग सर्धि (घृत) वचा मागधीका पीपल और तिरोट को पृथक या एक साथ उपयोग करने से वृद्धावस्था नष्ट हो जाती है।
प्रातर्धात्री भुक्ता पथ्यां रात्रोचाक्षं नित्यं स्वादन, सर्वान् व्याधीन जीत्वा जीवेदायुय्यवित्
||१७०।। प्रातःकाल में आमला खाने तथा रात में एक बहेड़े के फल के बराबर हरड़े रोज प्रतिदिन खाए तो सह रोगों को जीतकर पूरी आयु को निरोग रहता है।
स्वस्योत्कृष्टं हेमंताता शिफा मासमेकं,
क्षीरेण य: पीवेत चित्रकस्य भेवत्षे वली पलित दुरगः ॥ १७१।। अपने हाथ से हेमन्त ऋतु के अन्त में चित्रक जड़ को उखाड़कर एक मास तक दूध के साथ जो पीता है उसकी वृद्धावस्था दूर होती है।
भावितानां तिलानां च स्वादत्जा तस्य कर्मच भंगाच सा जरां हंति क्षीरेण मित मिश्रुना
॥१७२॥ भुंग (भांगरा) के स्वरस में भावना दिये हुए तिलों को दूध के साथ खाने से बुढ़ापापन नष्ट हो जाताहै।
मुस्ताहय पुंसयो श्चूर्णे तेकण सहयः पिबेत् सहयतं तस्य देहः स्यात् रूप भाव मनोहर
॥१७३॥ मुस्ता (नागरमोथा) हयपुंसयो (असगंध) के चूर्ण को जो मद्दे में भिगोकर घृत के साथ पीता है उसके शरीर का रूप और भाव मनोहर हो जाता है। DECISIOTSTOTSIDASTISEA९९३ P15035CIDIOTSETOOTERIES