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CHEDRISTOTRAS I C SISTRISTOISIOSSISTOISE पूजा के समाप्त होने पर प्रतिदिन जल में नवग्रहो की अपनी अपनी दिशा में नवग्रहों के लिए निम्नलिखित प्रकार से उत्तम मंत्री बलि दे।
भर पूप शकुलिका शोक वति काशि,
अन्यैश्च विचित्रास्टौ भन्नव पटलि का निहितैः ॥२६४ ॥ पूर्व लष्टु कचोरी अशोक की बत्ती आदि तथा अन्य भी विचित्र प्रकार के भोजनों को नई तस्तरी मे रखकर
नातं मलयज लिप्तं यूत सित कुसुमं सु भूषितं,
विधिना ग्रह पीड़ित विषणं निवर्द्ध येत्स्वं जपन मंत्री ॥२६५ ॥ स्नान किए हुए शरीर में चंदन का लेप लगाए हुए सफेद पुष्यों से भूषित (धारण किए हुए) और विधि पूर्वक सजे हुए ग्रह से पीड़ित दुखी साध्य को मंत्री मंत्र जपता हुआ निवर्द्धन करे।
आदाय पटलिका नामभि नव गंधाक्षत प्रसून युता,
नव यौवन स्व पुंसः सो स्मीपे मूर्द्ध निनस्येत् ॥२६६ ।। फिर उस तस्तरी को लाकर नए चंदन अक्षत फूलों से युक्त करके नए यौवन वाले पुरुष के सिर पर रखे।
दीपात पत्र चामर वाहन मान ध्वजादि शोभितटा,
गत्वा महाविभूत्या तिष्टे साँमसि कटि द्वयसे ॥२६७ ।। दीपक छत्र चमर सवारी गाड़ी ध्वजा आदि से शोभित बड़ी भारी विभूति सहित अम्भस (जल) के किनारे बैठे।
अस्यानुचरस्य शांत्यै बलिं कृत्वा रमा भिरेष युष्माकं,
ग्रह देवताः प्रसन्ना यूयं भूयास्तंस्ते पठेत् ॥२६८ ॥ तब मंत्री यह कहे कि हे ग्रह के देवताओं इस अनुचर की शांति के वास्ते हम तुम्हारे लिए बलि देते हैं। अव प्रसन्न हो जाएं।
अस्य अनुचरस्टा शांत्यै बलिं कत्वा अस्माभिरे षयुष्माकं ग्रह देवताः प्रसन्ना यूयं भूयास्तव ॥
अथा तः मुक्तान्ती राम पटलिकया सह निमग्र,
तत्त जले तां प्रोजझित्त वलोकिक स्तेन्षा तत्तो गच्छेत् ॥ २६९ ।। CSIRSTOSTERSTISTORIES९५१ ISTRISTRISTRISTRATRISTRIES