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CISIOTSSISTRISTRICT विधानुशासन PERHOSDISORDS राहु के नाग का उड़द और भात शंख और सीप युक्त जल प्रिय होता है। तथा केतु के नागराज को भी यही प्रिय होता है।
स्याहों के मंत्र सूर्य का मंत्र
ॐ वंधूक रक्तोत्पल सद्दश मूर्ति लोक नाथ महा देवादित्यः शांतिः प्रयच्छतु स्वाहा चंद्रमा का मंत्र
ॐ विमहार शंरव काश समप्रभ रोहिणी पतिश्चन्द्रः शांतिं वः प्रयच्छतु स्वाहा ॥ मंगल का मंत्र
ॐ भूमिपुत्र रक्त चंदनाभ कुमारांगारकःशांतिं वः प्रयच्छतु स्वाहा बुध मंत्र ___ॐ शिरीष पुष्प तुल्य सोम पुत्र बुधः शांतिं वः प्रयच्छतु स्वाहा वृहस्पति मंत्र:
ॐ स्वर्ण युति महा मह पूर्ण शशांकस्य वृहस्पतिः शांतिं वः प्रच्छतु स्वाहा शुक्र मंत्र:
ॐ भृगु पुत्र कुंदेन्दु वर्ण विशाल कीर्ति विग्रह कारि शुक्रःशांति वःप्रयच्छतु स्वाहा शनैश्चर मंत्र:
ॐ अंजन नीलोत्पल निभाय तिलोचन शनैश्चराय नमः शांति वःप्रयच्छतु स्वाहा राहु मंत्र:
ॐ मुंड राहु स्वर्भानु चंद्र ग्रास क शांति व प्रयच्छतु स्वाहा केतु मंत्र:
ॐ केतु घर केतु सुकेतु सूर्य ग्रासक शांतिं वः प्रयच्छतु स्वाहा
सूर्याधुरगफणा सु स्थाप्या मणयः क्रमेण
माणिक्या मुक्ता प्रवाल मरकत पुष्प स्फटिकेन्द्र नीलाश्च ॥ सूर्य आदि के नागों के फणों में क्रमशः निम्नलिखित मणियों की स्थापना करें। सूर्य = की माणिक्य चंद्र = मुक्ता मोती मंगल = प्रवाल मूंगा बुध - मरकत पन्ना
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