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________________ Ci5015121521521STS विधानुशासन P50351DISEASIRSARIES इति मृत्यंजय चक्रं ॐनमोर्हतेभगवते देवाधिदेवाय सर्वोपद्रवविनाशनाय सर्वाप मत्युंजय कारणाय सर्व सिद्धिं कराय ह्रीं ह्रीं श्रीं श्रीं ॐॐकों को ठ:झं वं व्ह प:क्षि वीं ध्वी हंस असि आउसा अह अमुकस्टा अपमृत्यु धातय धातय आयुष्य वर्द्धय वटा स्वाहा। (ईत्येनेनन वेष्टय पुनर्नकः पः हः एभि प्रत्येक वेश्येत पुनः पूभिर्वेष्टयेत ठ ठा ठिठीठु ठूठे है ठो ठो ठंठः पुनः स्थरै वेष्टयेत इति कर्णिका। हहा हि ही हु हु हे है हो हो हंह: इत्यं प्रत्येकं पत्रेषु लिरवेत्।एकेकं एकेक झंवं व्हःपःहामृत्युंजय इति । चतुर्भिरक्षर वेष्टेटोत पूर्वादि दिक्षु चतुर्रिक्षु। बिंदु (अनुस्वार) सहित जांत बीज (झ) के उदर (चीज) में होम (स्वाहा) सहित वरं पदं लिखे अर्थात वरं कुरु कुरु स्वाहा लिखकर इसको (झ) से घेर कर बाहर अर्ह लिखे बाहर लपर धीज (वः) फिर हः फिर प बीज फिर ह बीज फिर क्षि बीज से वेष्टित करे बाहर टांत बीज (ट) को सब स्वरो सहित लिङ फिर सब स्वरों को लिखे फिर बारह दल के कमल में सांत बीज (ह) को चारह स्वरों सहित लिखे फिर पांच पीयूष (अमृत) अक्षरों को अर्थात् झं यं रह पः हः लिखे इनके आगे क्षी झ्वी ची लिखे फिर सपरं (ह) बीज को बिन्दू (अनुस्वार) सहित अर्थात् (ह) लिखे फिर सः लिखकर होम (स्थाहा) बाहर सांत (हं) को स सहित संपुट से हंस के येष्टित करे फिर मृत्युजय पद लिने इसके बाहर जलमंडल फिर पृथ्वी मंडल लिखे यह मृत्युंजय यंत्र है इसकी अष्ट द्रव्य से पूजन धारण करे। हंस स्वाहा पलव्यू ॐईस्वी वी हंस स्वाहा CTERSISTERSITERSITICISIOISI९४३ ASTA5TTISISTETRIOSIKSI
SR No.090535
Book TitleVidyanushasan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMatisagar
PublisherDigambar Jain Divyadhwani Prakashan
Publication Year
Total Pages1108
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size24 MB
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