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CTERISTIARIERICT विधानुशायरा ISIRISTOTSIRIDIOSOTES
सकली क्रिया विशुद्धः परिधारा वोम मक्षत्तं नून
क्षौभ मय मुत्तरीयं विभ्राणो ब्रह्म सूत्रधरः ॥८॥ सकली करण से शुद्ध हुवा मंत्री होम की सामग्री रखकर यज्ञोपवीत और रिशमी या सण) की धोति और दुपट्टा पहलन कर ।
रचटान् पल्यंकासन मुपानंतर वर्तमान होमार्थ: होमक्रियां विदध्या दासं सुः कर्म संसिद्धं
॥९॥ पल्यंकानस से होम कुंड के समीप बैठकर कार्य की सिद्धि को चाहता हुवा होम करें। हयन करने वाला निम्न लिखित मंत्रों को बोलकर हवन कुंड के आगे बैठे।
उब्रह्मासने अहमुप विशामि स्वाहा। होम कुंडागे होतु रूप वेशनं होम कुंड के आगे होम करने वाला बैटे वेदी में
सम्यग्दर्शन ज्ञान चारित्राय कर्म दहनाटोति । अमुना मंत्रेण शुधी समर्चयेद भक्ति युक्त मनाः
॥१०॥ तस्या वेद्यां प्रतिष्ठाप्य मंत्री मंत्राधि देवतां यथाविधि तथा पूजां विदधीत जलादिभिः
॥११॥ मंत्री फिर उस वेदी में मंत्रके अधिष्ठाता देवता का स्थापन करके फिर उसकी जलचन्दनादि से पूजन करे।
संमृष्टं पंचभि गौस कुंड देशिके कमात् अचरोज्जल गंधाधैः पूजामंत्रं समुच्चरन्
॥१२॥ उस कुंड के समीप बैठा हुवा वह मंत्री उस समय पंच गव्य और जल चंदन आदि से मंत्र बोलता हुआ पूजन करे।
समाभ्यां क्षीर सर्पिभ्यां मन्यद्रव्य त्रयं समं
गव्यानि पंच ग्रहणीयाद न्योन्य सद्दशानिवा घी और दूध को तथा तीन द्रव्यों को बराबर मिलाकर पंच गव्य बजावे यह सब एक दूसरे के समान
हो।
ॐ हीं कुंड मभ्ययामि स्वाहा पूजा मंत्रः यह कुंड पूजने का मंत्र है। CSIRSSIOTSICISIOTECTECH ८४ PISOTICISODRISIOTSIDESI