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CHORDPADDISTRICT विद्यानुशासन VDOASSIPASTRISTIAN
आट रूख (अड़सा) के बंदाक (लांटा अमरनेल) को लाकर दाश में रखकर निश्चय पूर्वक जुए में विजय प्राप्त होती है और प्रतिपक्ष (दूसरा पक्ष) हार जाता है।
स्वमंदा तादृशो युद्धे कलभस्य निरीक्षणात्,
बिभत्लायते हस्तीगत घटौँ महानपि सोमा (सोमलता) वाले हाथी के बच्चे को देखते ही युद्ध से बड़ा भारी हाथी भी डरकर भाग जाताहै।
जग्धेद्र वारुणी मूल गुलिकां भक्ष मिश्रिता, दक्षो जेतु मंडलं दक्ष मन्य मप्पति पोषितं
॥१२०॥ इंद्र वारूणी (इंद्रायण) की जड़ की गोली को भोजन के साथ मिलाकर भोजन खाने में चतुर पुरूष दूसरे अत्यंत पुष्ट को भी जीत लेता है।
ॐ पद्म प्रभे पद्म सुंदरि धर्मर्षे ठः ठः॥
सिद्धं त्रिलक्षं जाप्पाद मुंजपन स्वामिनः पुर स्तिईतत्,
कुपितस्य सः प्रसीदे दद्याच्चा भीप्सितं सकलं ॥१२१ ।। यह मंत्र तीन लाख जप करने से सिद्ध होता है इस मंत्र को जपता हुआ यदि क्रोधित स्वामी के सामने खड़ा हो तो वह प्रसन्न होकर सब इच्छित वस्तु देता है।
तेजः पुटे लिरवेन्नाम ग्लौं क्ष्मं पूर्णेद वेष्टितं, वजाष्टकपरिछिन्नम यांत बह्म लाक्षारं
॥१२२।।
तद्वाह्ये भूपरं लेख्यं शिलायां ताल कादिना,
कोपस्टा स्तंभनं कुत्पिीतैः पुष्पैः प्रपूजितः ॥१२३॥ ॐलों मं ठंलं स्वाहा ॥ पूजा मंत्र: तेज (ॐ) की पुट में क्रमशः नाम ग्लौं और क्ष्म लिखकर उसको पूर्ण चंद्र (८) से वेष्टित करे फिर उसको आठ वजों से ढककर उनके आगे और अन्दर ब्रह्म (3) और (ल) अक्षर लिखे। उसके बाहर शिला पर हड़ताल आदि से लिखने और पृथ्वी मंडल बनाने तथा पीले पुष्पों से पूजन करने से यह यंत्र क्रोध का स्तंभन करता है।
यकारस्याष्टमं बीज मूाधो रेफ संयुतं, यकारं बिंदमुपकारं तन्मध्यं नाम से लिखेत्
॥१२४॥
तवाद्ये सांतमालेख्य टांतेनापि बहिष्कतं, उद्धधिो वज़ मालेव्यं क्रोध स्तंभन मा लिरवेत्
॥१२५ ॥
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