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CHEDISTRITISEDICIST विद्यानुशासन ISISISTRICISTORICIES
कन्या कर्तित सूत्रं दिवसेनैकेन तत पुनीतं
तस्मिन् हरितालायैः कौरंटक लेवनी लिरिवतं कन्या कर्तित सूत्रं कुमार्या कर्तित सूत्रंदिवर्सनैकेन तत्पुनीतं तं तन कुमार्ग कर्तित सूत्रं पुनरप्पे केन दिवसेन विणितां तरिमन हरितालाौ तस्मिन वस्त्रे हरितालादि पीत द्रव्यैः कौरंटक लेखनी लिरिवतं कोरंटक लेखन्या लिरिवतं ।।
॥२२॥
पदमावत्यात्पुरतः पीतैः पुष्पैः पुराः समभ्यर्थ्य यंत्रं,
पटे वधीयात्परयाते चोन्नत स्तंभो ॥२३॥ पदमावत्यात्पुरतो पदमावत्या देय्या मानः पीतैः पुष्पैःपरा समभ्यर्च्य पीतवर्ण प्रसूनैः पूर्व सम्यम् पूजयित्या यंत्र पटं एतत लिखित यत्रं पटं बनीयात् नि यध्रीयात प्रख्याते विख्याते च समुद्यये उन्नते स्तंभे अभ्यन्तर स्तंभे ॥
तंदृष्टांत दूरतराम्नशयंति भयेन विहलीभूताः, विरचित सेना व्यूहा संग्रामे शेष रिपु वर्गा:
॥२४॥ तं दृष्टया स्तंभे नियध्य मानं यंत्र पटं दृष्ट्वा दूरतरान्नशयंति अतीव दूरदर्शनिशांति भोन विहलीभूताभीत्या विहली चेाभूत्वा पलायंति करमातविरचित सेना व्यूहात विशेषेण रचितो विरचितःविरचित चासौ सेना व्यूहश्च विरचित सेना व्यूहस्तस्याद्विर चित सेना व्यूहात संग्रामे संग्रामा भूमौ शेषगण वग्गा:दुःत शत्रु समूहाःनश्यातीति
संबंधः।। टीकाः शत्रु के नाम के बाहर मांत (यकार ) लिखकर बाहर ठांत (ठकार) सहितमलवरयूकार बीज अर्थात् दम्ल्यूं लिखे उसके बाहर पृथ्वी मंडल लिखे उसके बाहर त्रिशूल उग्र भूत और मृगों से घिरे हुए हाथ में शस्त्र के लिए हुए शत्रु की मूर्ति को लिखे जो अपने सामने लिखे हुए शत्रु के नाम को मार रहा हो प्रति शत्रु की मूर्ति ठम्ल्यूँ पिंडाक्षर से घिरी हुई हो।
ॐ ह्रीं फेंग्लौं स्वाहा ठ-ठ: देवदत्तस्य पटाच ॐ हूं ह्रीं फें ग्लौं स्वाहा ठ:ठः देवदत्तस्य पट गज ॐ हं ही फें ग्लौं स्वाहा ठः ठः ॥ इस मंत्र में देवदत्त की जगह शत्रु का नाम रखना चाहिये इस मंत्र को पूवोक्त चित्रों से लिखे फिर निम्नलिखित मंत्र से उस प्रति शत्रु की मूर्ति को घेर कर लिख्खे उसके चारों तरफ माहेन्द्र मंडल इंद्र मंडल बनाये! QಥಳಥಳಥಳS 444559ಥದಣಿ