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Po950951
* विधानुशासन
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इस मंत्र से जप करके अरीठों को चिता की अग्नि में श्मशान में जलावे और इस भस्म को सिर डालने से उच्चाटन विद्वेषण और नाश तक होता है।
आग्नेय मंडले साध्यमोंकार द्वय वेष्टितं, अधोमुखं कृतं भूमौ सद्यो विद्वेष कारणां
अग्नि मंडल के अन्दर साध्य के नाम को दो ॐ से वेष्टित करके पृथ्वी में उल्टा करके रख देने तुरन्त ही विद्वेषण हो जाता है।
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प्रेतमर्षी कनक रसैर्विलिख्य साध्यं जकार मध्य गते, अग्निं पुरं प्रेत वने निहितं विद्वेष कर्म्म कर चिता के कोयले की या राख की स्याही और धतूरे के रस से जकार के बीच में साध्य का नाम लिखकर चारों तरफ अग्नि मंडल बनाकर श्मशान में गाड़ देवे तो विद्वेषण कर्म करता है।
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अंगारोन्मत्त रसैर्धकार मध्ये विलिख्य यन्नाम,
प्रेत वने निक्षिप्तं सप्त सुरात्रेण विपरितः
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॥ ९ ॥
अंगारे (कोयले) औ उन्मत्त (धतूरे) के रस से घकार के बीच में नाम में नाम लिखकर श्मशान
में गाड़ने से सात रात के अंदर विद्वेषण हो जाता है।
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525 ४५P/59/5P6959595