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________________ DISTRITICISISISTEROID विद्यानुशासन ASIRIDEIDOSSESS शत्रु के पैरों के निशान के बीच में कारस्कर नोकूह (खैर की लकड़ी की कील गाड़ देवे तो उसका उचाटन होकर उसको महान रोग शीघ्र हो जाता है। एकां गुलं चित्रकस्य कीलं ग्राह्य पुनर्वस्यौ सप्तानि, मंत्रितं मोहान्निभिन्नो चाटनं भवेत् ॥२४॥ मंत्र ॐ लोजिते मुखे स्वाहा ॥ पुर्नवसु नक्षत्र में चित्रक की एक अंगुल की कील लेकर इस मंत्र से सात बार मंत्रित करके रखने से उच्चाटन होता है। स्वात्य योदंबरं बीजं मंत्रितं चतुरंगुलतं, यस्टा निरखनेद गेहे तस्यो च्चाटनं भवेत् ॥२५॥ मंत्र-ॐ शिलि शिलि स्वाहा || स्वाति नक्षत्र में चार अंगुल लम्बी उग्रा (लहसुन) और उदंबर (गूलर) के बीज और कील को इस मंत्र से मंत्रित करके जिसके घर के द्वार में गाड़े उसका उच्चाटन होता है। भरणयां मगुलहंतु उलूकास्थ कीलकं, सप्ताभिमंत्रितो यस्य निरिवन्योच्चाटनं गहात् ॥२६॥ मंत्र-ॐह हह ह ह स्वाहा ॥ भरणी नक्षत्र में मारे हुए उल्लू की हड्डी की कील इस मंत्र से मंत्रित करके सात बार जिस घर में गाडी जाती है उसका उद्घाटन हो जाता है। काकोलूकस्य पक्षां मुहुलाह्यष्टाधिकं शतं, सनाम्ना मंत्र योगे च समस्तो उच्चाटनं भवेत् ॥२७॥ मंत्र-ॐ नमो भगवते रूद्राय दंष्ट्रा करालाय कपिलरूपायकपि अमुकं सपुत्र वांद्य वैस्सह हन हन पच पच शीग्रं शीयं उच्चाटय उच्चाटय हुं फट स्वाहा || कौवे और उल्लू के पंख (एक भाग) को नाम सहित इस मंत्र से एक सौ आठ बार मंत्रित करने से उसका पूर्ण रूप से उच्चाटन होता है। इति 0505853SSISTR7510551८४३PISTRICTORSDISEXSRISTORY
SR No.090535
Book TitleVidyanushasan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMatisagar
PublisherDigambar Jain Divyadhwani Prakashan
Publication Year
Total Pages1108
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size24 MB
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